Wednesday, October 22, 2025
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    धुनों और नृत्य की सुरम्य बूँदों से भीगा ‘मेघ उत्सव’, दर्शकों ने महसूस की कला की आत्मा

    रिपोर्ट – सिद्धार्थ जैन

    जयपुर। मानसून की रिमझिम फुहारों के बीच शनिवार को राजधानी की सांस्कृतिक धरा पर ‘मेघ उत्सव’ की संगीतमय बारिश ने श्रोताओं और दर्शकों को भावविभोर कर दिया। डेल्फिक काउंसिल ऑफ राजस्थान द्वारा जवाहर कला केंद्र में आयोजित इस दो दिवसीय सांस्कृतिक महोत्सव का रंगारंग आगाज़ सुरों, तालों और नृत्य की अनूठी प्रस्तुतियों के साथ हुआ।

    उत्सव का शुभारंभ अदनान ग्रुप के वादन से हुआ, जिसमें सितार, वायलिन और तबले की जुगलबंदी ने जैसे श्रोताओं के मन-मस्तिष्क को एक नई चेतना से भर दिया। अदनान खान और उनके साथी कलाकारों ने राग मेघ और राग मल्हार को फ्यूजन शैली में प्रस्तुत कर शास्त्रीयता और आधुनिकता के संगम का खूबसूरत उदाहरण पेश किया। लोक धुनों और मानसूनी रागों के प्रयोगों से युवाओं को भी जोड़ने में यह प्रस्तुति पूरी तरह सफल रही।

    इसके बाद भरतनाट्यम की अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नृत्यांगना कनक सुधाकर एवं उनकी टीम ने ‘त्रिदेवी’ नामक नृत्य नाटिका प्रस्तुत कर मंच पर स्त्रीशक्ति की भव्य झलक दिखाई। पार्वती, लक्ष्मी और भूमि देवी के रूपों के माध्यम से नारी के विविध आयामों सृजन, संरक्षण और शक्ति का जीवंत चित्रण भरतनाट्यम की पारंपरिक मुद्राओं और भावप्रवण अभिनय के माध्यम से किया गया। दर्शकों ने प्रस्तुति के अंत में खड़े होकर कलाकारों का अभिवादन किया।

    कार्यक्रम में पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव राजेश यादव मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। डेल्फिक काउंसिल ऑफ राजस्थान की अध्यक्ष श्रेया गुहा (आईएएस) ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा, “मेघ उत्सव सिर्फ एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि मानसून के सौंदर्य और भारतीय कला परंपराओं की एक सजीव अभिव्यक्ति है। यह परंपरा और नवाचार का संगम है।

    इस आयोजन को संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (पटियाला), पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (उदयपुर), जवाहर कला केंद्र और राजीविका का सहयोग प्राप्त है। पहले दिन के कार्यक्रम में कला, शिक्षा, प्रशासन, मीडिया और सामाजिक क्षेत्रों की कई प्रतिष्ठित हस्तियों के साथ बड़ी संख्या में कला प्रेमी उपस्थित रहे।

    समापन संध्या पर मूरलाला मारवाड़ा का होगा सूफियाना संगीतमयी प्रस्तुति

    रविवार को विश्वविख्यात लोक गायक मूरलाला मारवाड़ा अपनी कबीर और सूफी रचनाओं की प्रस्तुति देंगे। उनके स्वरों की आत्मिक गहराई और दार्शनिक ऊँचाई श्रोताओं को एक अद्वितीय आध्यात्मिक यात्रा पर ले जाएगी।

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