फिल्म में अक्षय कुमार आसिफ का किरदार निभा रहे हैं जो अपनी पत्नी यानी कियारा आडवाणी के मम्मी-पापा के घर उन्हें मनाने जाते हैं क्योंकि दोनों की लव मैरिज से वे नाराज होते हैं। दोनों फिर दमन पहुंचते हैं और इसके बाद कहानी में आता है ट्विस्ट। वहां पहुंचने के बाद आसिफ को उस प्लॉट के बारे में पता चलता है जहां खेलने से बच्चे डरते हैं। लेकिन आसिफ भूत-प्रेत में विश्वास नहीं करता और वह उस प्लॉट में खेलने जाता है।फिर क्रिकेट खेलते हुए कुछ ऐसा होता है कि वहां की आत्मा जाग जाती है और आसिफ के साथ रश्मि के पेरेंट्स के घर आ जाती है। इसके बाद वही सब होता है जो हर हॉरर फिल्म में होता है और फिर अक्षय के अंदर आ जाती है लक्ष्मी की आत्मा।
अगर आपने कंचना नहीं देखी है तो फिर आपको यह फिल्म बहुत अच्छी लगेगी। लेकिन अगर आपने कंचना देखी है तो बार-बार आप सीन्स में तुलना करेंगे। हालांकि फिल्म की कहानी को थोड़ा मॉडिफाई किया गया है। फिल्म में अक्षय और कियारा की जोड़ी साथ में कुछ खास नहीं लग रही। अक्षय, कियारा के सामने काफी बड़े लग रहे हैं। फिल्म में ट्रांसजेंडर्स समाज के प्रति लोगों की सोच बदलने का संदेश दिया गया है।
हालांकि कुछ सीन्स बहुत मजेदार थे, लेकिन कहीं-कहीं कॉमेडी मिसिंग दिखी।राघव लॉरेंस ने फिल्म कंचना डायरेक्ट की थी और उसमें काम किया था। इसके बाद राघव ने अब फिल्म लक्ष्मी को डायरेक्ट किया है। हालांकि इस फिल्म में राघव का वो जादू नहीं दिखा। फिल्म कहीं-कहीं डिसकनेक्ट हो जाती है।