Sunday, June 1, 2025
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    हवा में उड़ कर आया बनेडिया जी का दिगम्बर जैन मंदिर, वैज्ञानिक भी हैरान, खुदाई में कही नहीं मिलीनींव

    लखनऊ। मध्यप्रदेश के इंदौर शहर की देपालपुर तहसील के बनेडिय़ा गांव में स्थित श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बनेडिय़ा जी बना हुआ है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है की ये मंदिर यहां प्रकट हुआ है इसे बनवाया नहीं गया। इसके बारे में बहुत प्राचीन कथाएं हैं। जो इसे बेहद अतिश्यकारीऔर चमत्कारी बनाती है। आखिर मंदिर बगैर किसी पक्की नींव  के कैसे बना। यह बात आज तक हैरान करने वाला है।

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    इस बात की सच्चाई जानने के लिए मंदिर की खुदाई करवाई गई तो लोग चौंक गए। खुदाई में कहीं भी पक्की नींव का पता नहीं चला। बिना किसी ठोस नींव के यहां स्थापित इस अष्टकोणी भव्य मंदिर में एक भी खंभा नहीं है और मंदिर की दीवारें 6 से 8 फीट चौड़ी है। इससे जुड़ी प्राचीन कथा इसे बेहद चमत्कारी बनाती है।
    यह लगभग 800 साल पुराना क्षेत्र है। भगवान अजिनाथजी की मुख्य मूर्ति बहुत प्राचीन, चमत्कारी और सुंदर है। मंदिर में सैकड़ों प्राचीन मूर्तियाँ हैं। ऐसी सुनी-सुनाई बात है कि मंदिर देवताओं द्वारा यहाँ रखा गया है। मंदिर की कोई नींव जमीन में नहीं है। मंदिर के पास एक बड़ा तालाब है। भीतरी तीन वेदियाँ सुंदर कांच के काम से सजी हैं।

    चौथे काल की प्राचीन पाषाण प्रतिमाएं 

    मंदिर के निकट रहने वाले जैन परिवार ने बताया कि पूर्वजों से यही सुना है कि एक तपस्वी मुनिराज इस मंदिर को लेकर कहीं जा रहे थे, किसी कारणवश उन्होंने मंदिर को यहां रखा और तपस्या करने लगे, शाम हो गई तो मंदिर यहीं स्थापित हो गया। तब से ये मंदिर यहीं है। मंदिर में भगवान अजीतनाथ जी की प्रतिमा स्थापित है। इसके अलावा मणिभद्र बाबा का क्षेत्रकाल भी यहां है। यहां सफेद पाषाण की कई प्राचीन मूर्तियां भी हैं जिन पर 1248 संवत विक्रम का समय लिखित में अंकित है। ये मूर्तियां चौैथे काल की बताई जाती हैं।

    पूर्णिमा की पूजा का है महत्व 

    मंदिर की देखभाल कर रहे लोगों ने बताया कि ये भारत का एकमात्र अतिशय क्षेत्र है जिसकी नींव नहीं है। यहां हर पूर्णिमा को विशेष पूजा होती है और मेला लगता है। जिसमें देश के कोने-कोने से श्रद्धालु शामिल होते हैं। मान्यता है पूर्णिमा को यहां पूजा में शामिल होने से हर मनोकामना पूरी होती है। इसी मान्यता के चलते कई श्रद्धालु लगातार 7,8 या 15 पूर्णिमा तक यहां आते हैं।

    चार फीट ऊंची भगवान अजितनाथजी की प्रतिमा 

    इस भव्य प्राचीन मंदिर के पास एक बड़ा तालाब है। मुख्य मंदिर गोलाकार है जिसमें भगवान अजीतनाथ जी की लगभग 4 फीट ऊंची प्रतिमा स्थित है। इस मूर्ति के अलावा भी मंदिर में कई प्राचीन मूर्तियां मौजूद है। जिनमें भगवान आदिनाथ, चंदप्रभु ,पाश्र्वनाथ और शांतिनाथ जी की मूर्तियां शामिल है। मूल प्राचीन मंदिर को श्रद्धालुओं ने भव्य मंदिर का रूप दे दिया है।

    खुदाई के बाद चौंके लोग 

    इस मंदिर से जुड़ी प्राचीन कथा की वजह से दुनियाभर के श्रद्धालु यहां पर दर्शन के लिए आते हैं। कहा जाता है कि यह मंदिर यहां प्रकट हुआ है इसे बनवाया नहीं गया। यह बात इसे बेहद चमत्कारी बनाती है। इंजीनियरों और वैज्ञानिकों की मौजूदगी में जब इस बात की सच्चाई जानने के लिए मंदिर की खुदाई करवाई गई तो लोग चौंक गए। खुदाई के बाद कहीं भी पक्की नींव नहीं निकली। बिना किसी ठोस नींव के इतने बड़े मंदिर की स्थापना को देखकर इंजीनियर और वैज्ञानिक भी चौंक गए। यह एक अष्टकोणी भव्य मंदिर है जिसमें एक भी खंभा नहीं है और मंदिर की दीवारें 6 से 8 फीट चौड़ी हैं।

     तालाब और सुंदर प्राकृतिक दृश्य

    मंदिर के आसपास बहुत सुंदर प्राकृतिक दृश्य हैं। यहां पर प्राचीन मंदिर के पास एक बड़ा तालाब भी है। मुख्य मंदिर गोलाकार है जिसमें भगवान अजीतनाथजी की लगभग 4 फीट ऊंची प्रतिमा स्थित है। इस मूर्ति के अलावा भी मंदिर में कई प्राचीन मूर्तियां मौजूद हैं। जिनमें भगवान आदिनाथ, चंदप्रभु, पार्श्वनाथ और शांतिनाथ जी की मूर्तियां शामिल हैं। मूल प्राचीन मंदिर को श्रद्धालुओं ने भव्य मंदिर का रूप दे दिया है।
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