लखनऊ। एसडीएसएन डिग्री कालेज बीकेटी लखनऊ में असिस्टेंट प्रोफेसर डा. रेखा यादव ने बताया की लिंग असमानता को समाज में इस तरह से परिभाषित किया जा सकता है कि लिंग के आधार पर महिलाओं के साथ भेदभाव हो रहा है। हमारा समाज लिंग असमानता के विश्लेषण पर आधारित है सदियों से यह असमानता समाज में विद्यमान है जिसका प्रमुख कारण स्त्रियों की जैविकीय संरचना माना जाता है। महिलाएं भावनात्मक भूमिका निभाने में निपुण मानी जाती हैं। लिंग असमानता किसी भी समाज के लिए एक घातक तत्व बन गया है।
परिवर्तित होते समाज में परंपरागत रूप से महिलाओं को सदैव दोयम दर्जा ही दिया जाता है । वे घर मे हों या बाहर प्रत्येक स्थान पर शोषण अपमान और भेदभाव का शिकार होती हैं। कार्यस्थल पर भी लैंगिक भेदभाव देखने को मिलता है।अक्सर देखा जाय तो जिस कार्य में पुरुषों का वर्चस्व हो वहां महिलाओं के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं जिससे महिला स्वयं कार्य छोड़कर चली जाय।
असंगठित क्षेत्र में महिलाओं की स्थिति अधिक दयनीय है वहां अपने सहकर्मी एवं उच्चाधिकारियों द्वारा महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के मामले उजागर होते रहते हैं।महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को उन्नति एवं विकास के अवसर अधिक दिए जाते हैं । यहां तक कि कार्य स्थल पर महिला एवं पुरुषों के लिए कार्य वितरण में भी असमानता दिखाई देती है।
लिंग असमानता व्यापक स्तर पर पहुंच गयी है लैंगिक असमानता के विभिन्न क्षेत्र हैं । इसमें सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक या सिनेमा क्षेत्र हो हर जगह महिला ही प्रताड़ित हो रही है । परंतु लैंगिक असमानता की इस खाई को दूर करने में महिलाओं को अभी अथक प्रयास की आवश्यकता है। यदि कानून व्यवस्था सख्त हो जाय और लोगों को इसका पालन करना अति आवश्यक बना दिया जाए तो समाज में फैली इस असमानता को दूर किया जा सकता है।