नई दिल्ली। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर शनिवार, 28 दिसंबर को पंचतत्व में विलीन कर दिया गया। उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया, और इस दौरान उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई। डॉ. मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर को दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में 92 वर्ष की आयु में हुआ था।
आर्थिक सुधारों के जनक कहे जाने वाले डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार उनके परिवार के सदस्यों, कांग्रेस पार्टी के नेताओं और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में किया गया। डॉ. मनमोहन सिंह की बेटी ने उन्हें मुखाग्नि दी, और नम आंखों से उनके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की गई।
अंतिम यात्रा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक, कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कई अन्य प्रमुख हस्तियाँ शामिल हुईं और डॉ. सिंह को अंतिम विदाई दी।
विश्वभर के नेताओं ने डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया
कांग्रेस मुख्यालय से निगमबोध घाट तक उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई, जहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ‘‘जब तक सूरज चांद रहेगा, मनमोहन आपका नाम रहेगा’’ और ‘‘मनमोहन सिंह अमर रहें’’ जैसे नारे लगाए। उनके पार्थिव शरीर को जिस वाहन में रखा गया, उसमें राहुल गांधी, उनके परिवार के सदस्य और कांग्रेस के कुछ नेता भी मौजूद थे। अंतिम यात्रा से पहले, उनका पार्थिव शरीर कांग्रेस मुख्यालय ’24 अकबर रोड’ में रखा गया था, जहाँ सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
डॉ. मनमोहन सिंह के योगदान को भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में हमेशा याद रखा जाएगा, विशेष रूप से उनके द्वारा किए गए ऐतिहासिक आर्थिक सुधारों के लिए।