Tuesday, June 17, 2025

देश भर में हर दिन लगभग 3,600 मौतें तंबाकू के प्रयोग के कारण होती हैं

विश्व तंबाकू निषेध दिवस

लखनऊ। तम्बाकू का सेवन तीस गुना तक फेफडे तथा अन्य प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ाता हैं। तम्बाकू के सेवन से दमा की बीमारी का खतरा तीन गुना तक बढ़ जाता हैै। तम्बाकू का सेवन छः गुना तक हार्ट अटैक का खतरा बड़ा देता है। तम्बाकू का सेवन पुरूषों में नपुंसकता को दो गुना तक बढ़ाता है।

मौतों का एक प्रमुख कारण तम्बाकू का सेवन

पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभागाध्यक्ष केजीएमयू प्रो. (डॉ.) वेद प्रकाश ने बताया की  तम्बाकू का धुआँ छोड़ कर जीवन अपनाये, स्वस्थ्य शरीर और मन पायें। एक कश धुआँ सिगरेट जीवन को राख बनाती है। इसे तुरन्त छोड दे। उन्होंने बताया कि दुनिया भर में होने वाली सभी मौतों का एक प्रमुख कारण तम्बाकू का सेवन है। विष्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अनुमानतः विश्व स्तर पर हर साल 80 लाख से अधिक लोग तंबाकू के सेवन के कारण मरते हैं। इनमें से 70 लाख से अधिक मौतें सीधे तंबाकू के उपयोग (यानी, धूम्रपान करने वाले या धुआं रहित तंबाकू का उपयोग करने वाले लोग) के परिणामस्वरूप होती हैं। लगभग 10 लाख मौतें सेकंड हैंड धुएं के संपर्क में आने से होती हैं, जिसे पैसिव स्मोकिंग भी कहा जाता है।

धूम्रपान करने वालों में हृदय रोग का जोखिम 

धूम्रपान करने वाले लगभग 90ः वयस्क 18 साल की उम्र से पहले ही धूम्रपान करना शुरू कर देते है।तंबाकू का प्रयोग कैंसर का प्रमुख कारण है, जो विश्व स्तर पर कैंसर से संबंधित सभी मौतों में लगभग 22ः का योगदान देता है। तम्बाकू के सेवन से फेफडे,मुंह, आहारनाल, पैन्क्रियाज मूत्राषय, गुर्दे इत्यादि के कैंसर होने की सम्भावना बढाता है और साथ ही अन्य दूसरी बीमारियों जैसे क्रोनिक ब्रोन्काइटिस, सीओपीडी अस्थमा इत्यादि को बढाने का कार्य करता है।
धूम्रपान करने वालों में हृदय रोग का जोखिम काफी बढ़ जाता है। कोरोनरी धमनी रोग विकसित होने का जोखिम 2-4 गुना, दिल के दौरे का जोखिम 2-6 गुना स्ट्रोक का जोखिम दोगुना तथा पेरीफेरल धमनी का रोग का जोखिम 10 गुना से अधिक हो जाता है। तंबाकू का उपयोग प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित करता हैं।

तम्बाकू के सेवन से पुरुषों में बांझपन

तम्बाकू के सेवन से पुरुषों में बांझपन का जोखिम 60ः से अधिक तक बढ़ सकता है एवं महिलाओं में प्रजनन क्षमता में 30ः की कमी तम्बाकू के सेवन से हो सकती हैै। गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने से कम वजन वाले बच्चों के जन्म के 20-30ः मामले होते हैं तथा समय से पहले जन्म के 14ः मामले और शिशु मृत्यु के 10ः मामले होते है। बच्चों में सेकंड हैंड धुआँ गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं करता है। यह अस्थमा, श्वसन संक्रमण, अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम और विकासात्मक देरी के जोखिम को बढ़ाता है।

मानसिक स्वास्थ्य विकारों से जुड़ा

तंबाकू का सेवन मानसिक स्वास्थ्य विकारों से जुड़ा भी है, जिसमें अवसाद, चिंता, आत्महत्या की भावना इत्यादि मानसिक विकारों को बढाता है, और व्यक्ति विषेष की समग्र व्यक्तित्व को प्रभावित करता है। भारत में, तंबाकू के सेवन से वार्षिक आर्थिक बोझ 220 करोड़ से अधिक होने का अनुमान है।तम्बाकू का सेवन पूरे देष की उत्पादकता को गम्भीर रूप से प्रभावित करता है। भारत में, प्रत्यक्ष सेवन और सेकंड हैंड धुएं के संपर्क दोनों को मिलाकर, तंबाकू के सेवन के कारण सालाना लगभग 13 लाख मौतें होती हैं। इसका मतलब है कि देश भर में हर दिन लगभग 3,600 मौतें तंबाकू के प्रयोग के कारण होती हैं।

स्वास्थ्य व्यय लगभग एक लाख 78 हजार करोड

भारत में लगभग 27 करोड वयस्क (15 वर्ष और उससे अधिक आयु के), जो वयस्क आबादी का 29ः हैं, किसी न किसी रूप में तंबाकू का उपयोग करते हैं। भारत में तम्बाकू के सेवन का सबसे प्रचलित रूप धुआं रहित तंबाकू है, जिसमें खैनी, गुटखा, तंबाकू के साथ पान मसाला और जर्दा जैसे उत्पाद शामिल हैं। धूम्रपान के रूपों में बीड़ी, सिगरेट और हुक्का शामिल हैं।
वर्ष 2017-18 में एक अध्ययन के अनुसार भारत में 35 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों में तम्बाकू सेवन से होने वाला स्वास्थ्य व्यय लगभग एक लाख 78 हजार करोड रूपये रहा है।भारत तंबाकू के प्रयोग से होने वाली बीमारियों और समय से पहले होने वाली मौतों के कारण अपने सकल घरेलू उत्पाद ¼GDP½ का लगभग 1ः हिस्सा खो देता है।तंबाकू से संबंधित बीमारियों का वैश्विक आर्थिक बोझ स्वास्थ्य देखभाल व्यय और उत्पादकता के नुकसान अनुमानतः सालाना 14 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।

युवाओं को आकर्षित किया जा रहा

श्री प्रकाश ने बताया की हर साल 31 मई को दुनिया विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाती है, यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा तंबाकू के उपयोग के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसकी खपत को कम करने वाली प्रभावी नीतियों को बढ़ावा देने के लिए एक पहल है। इस वर्ष 2025 में तंबाकू और निकोटीन उत्पादों पर उद्योग की रणनीति का पर्दाफाश है। तंबाकू उद्योग द्वारा नए उपयोगकर्ताओं, विशेष रूप से बच्चों और किशोरों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न मार्केटिंग रणनीतियों पर तत्काल प्रभाव से ध्यान आकर्षित कारना है।

यह थीम इस बात पर प्रकाश डालती है कि आधुनिक तंबाकू और निकोटीन उत्पादों को ष्हानिरहितष् रूप में दिखाकर इसके दुष्प्रभाव को कैसे छिपाया जा रहा है, जिसमें स्वाद वाले विकल्प,प्रभावषाली सोशल मीडियाबाजी और आकर्षक पैकेजिंग का उपयोग करके युवाओं को आकर्षित किया जा रहा है। ये मार्केटिंग रणनीति इन उत्पादों के वास्तविक खतरों को छुपाती हैं और नशे की एक लहर को जन्म देती हैं।

तंबाकू के सेवन के दुष्प्राभाव

तंबाकू का सेवन से कई गंभीर बीमारियां होती है, जिनमें कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक, श्वसन संबंधी बीमारियां (जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और प्रजनन संबंधी विकार, मनोरोग बीमारियां इत्यादि शामिल हैं।

जो इस प्रकार है 

फेफड़े, मुंह, गले, पाचनतंत्र, मूत्राशय, अग्न्याशय और गर्भाशय गला इत्यादि के कैंसर
हृदय रोग जैसे दिल का दौरा, स्ट्रोक और परिधीय धमनी रोग।
श्वसन संबंधी विकार जैसे क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, वातस्फीति और अस्थमा की बीमारी आदि।
प्रजनन संबंधी जटिलताएं, जिनमें बांझपन, जन्म दोष और मृत शिशु जन्म का बढ़ना इत्यादि शामिल है।
मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, जिनमें Anxiety, Depression और मादक द्रव्यों का सेवन शामिल है।
सेकंड हैंड धुएं का संपर्क, जो गैर-धूम्रपान करने वालों, विशेषकर बच्चों के स्वास्थ्य को खतरे में डालता है, और हर साल दुनिया भर में लगभग 8.9 लाख व्यक्तियों में अकाल मृत्यु का कारण बनता है।

तंबाकू के सेवन के लक्षणः

 लगातार खांसी
 सांस फूलना
 सीने में दर्द
 शारीरिक फिटनेस में कमी
 पीले दांत और उंगलियां
 सांसों की बदबू
 स्वाद और गंध की भावना में कमी
 मसूड़े की बीमारी, दांतों की सड़न और मौखिक कैंसर सहित मौखिक स्वास्थ्य समस्याओं का बढ़ता जोखिम।

Withdrawal के लक्षण

निकोटीन के आदी व्यक्ति तंबाकू का उपयोग बंद करने या कम करने की कोशिश करते समय Withdrawal के लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं। इन लक्षणों में चिड़चिड़ापन, चिंता, बेचौनी, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और निकोटीन की तीव्र लालसा शामिल हो सकती है।
युवा और निकोटीन का जालः एक अध्ययन से पता चलता है कि 10 में से 9 वयस्क धूम्रपान करने वाले 18 साल की उम्र से पहले शुरू करते हैं, और लगभग 14.6: भारतीय किशोर (13-15 वर्ष) पहले से ही किसी न किसी रूप में तंबाकू का उपयोग करते हैं। ई-सिगरेट, निकोटीन पाउच और तंबाकू उत्पादों का आक्रामक प्रचार इस संकट को और गहरा करता है, उन्हें सुरक्षित विकल्प के रूप में झूठा चित्रित करता है, हालांकि उनके नुकसान के बढ़ते प्रमाण हैं।

डब्ल्यूएचओ जैसे संगठन इस बात की चेतावनी देते हैं कि ऐसे उत्पाद नुकसान कम करने के बजाय लंबी अवधि के नशे के प्रवेश द्वार के रूप में काम करते हैं। उनमें अत्यधिक नशीला निकोटीन होता है और वे अक्सर प्रयोगकर्ताओं को बाद में  पारंपरिक तंबाकू के सेवन करने के लिए विवष कराते हैं।

तंबाकू निर्भरता का आकलन

तंबाकू के उपयोग का आकलनः व्यक्ति के तंबाकू के प्रयोग का आकलन के लिए ें उपयोग किए जाने वाले तंबाकू उत्पादों का प्रकार (जैसे सिगरेट, सिगार, धुआं रहित तंबाकू), प्रयोग की आवृत्ति, प्रयोग की अवधि और प्रति दिन सेवन की गई मात्रा से किया जाता है।
निकोटीन निर्भरता की पहचानः निर्धारित करें कि व्यक्ति निकोटीन निर्भरता के मानदंडों को पूरा करता है या नहीं। निकोटीन निर्भरता के सामान्य लक्षणों में तंबाकू का उपयोग करने की तीव्र इच्छा, छोड़ने या कम करने के असफल प्रयास, इसके हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता के बावजूद, तंबाकू का निरंतर उपयोग शामिल हैं।
Withdrawal के लक्षणों की स्क्रीनिंगः चिड़चिड़ापन, चिंता, बेचौनी, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, उदास मन, भूख में वृद्धि और निकोटीन के लिए तीव्र लालसा जैसे निकासी के लक्षणों की स्क्रीनिंग करें।
छोड़ने की प्रेरणा का आकलनः तंबाकू का उपयोग छोड़ने के लिए व्यक्ति की तत्परता और प्रेरणा का मूल्यांकन करें।
शारीरिक परीक्षणः व्यक्ति की समग्र स्वास्थ्य स्थिति का आकलन करने के लिए एक शारीरिक परीक्षण किया जाता है, जिसमें तंबाकू से संबंधित स्वास्थ्य प्रभावों के संकेत जैसे श्वसन संबंधी लक्षण, हृदय संबंधी जोखिम कारक, मौखिक स्वास्थ्य समस्याएं और त्वचा में परिवर्तन शामिल हैं।
तंबाकू के सेवन का आकलनः तंबाकू के प्रयोग की पुष्टि करने और निकोटीन के संपर्क की सीमा और स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव का आकलन करने के लिए उद्देश्य जैव रासायनिक परीक्षण (उदाहरण के लिए, मूत्र या लार में कोटिनिन का स्तर) या फेफड़े और हार्ट की जांचो का उपयोग किया जाता है।

तंबाकू निर्भरता का उपचार

तंबाकू छोड़ने में सहायता के लिए फार्माकोथेरेपी विकल्पों पर विचार कर सकतेे हैं, जिसमें निकोटीन Replacement Therapy ¼NRT½ शामिल है, जैसे निकोटीन पैच, गम, लोजेंजेस, इनहेलर या नाक स्प्रे। निकोटीन की लालसा और Withdrawal के लक्षणों को कम करने के लिए बुप्रोपियन (जायबन) या वेरेनिकलाइन जैसी अन्य दवाएं भी दी जा सकती हैं।

प्रतिबद्धता की पुष्टि

प्रो. (डॉ.) वेद प्रकाश ने बताया की  पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग तंबाकू महामारी का मुकाबला करके स्वास्थ्य और जन कल्याण को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। तंबाकू के प्रयोग से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में जागरूकता बढ़ाकर, साक्ष्य-आधारित नीतियों को अपनाकर, और व्यक्तियों को उनकी छोड़ने की यात्रा में समर्थन देकर, हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ भविष्य बना सकते हैं।
इस कार्यक्रम में प्रो. राजेन्द्र प्रसाद, प्रो0 ऋषि सेठी, प्रो0 आर0ए0एस0 कुषवाहा, प्रो0 यू0एस0 पाल, प्रो0 अमित आर्या, डा0 षिव राजन, डॉ. सचिन कुमार, डॉ. मोहम्मद आरिफ, डॉ. मृत्युंजय सिंह, डॉ. दीपक शर्मा, डॉ. शुभ्रा श्रीवास्तव, डॉ. संदीप कुमार, डॉ. अपर्णा आदि उपस्थित रहेे।

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