Sunday, June 1, 2025
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    वैश्विक बाजारों में हाहाकार : ट्रंप के टैरिफ फैसले से सेंसेक्स-निफ्टी धड़ाम

    • एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स 2564.74 अंक गिरकर 72,799.95 पर आ गया,सेंसेक्स और निफ्टी लगभग 10 महीनों में अपने सबसे निचले स्तर पर आ गए हैं

    नई दिल्ली। सोमवार को घरेलू शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली, जिसका मुख्य कारण डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ को लेकर वैश्विक स्तर पर फैली अनिश्चितता रही। एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स 2,564.74 अंक की गिरावट के साथ 72,799.95 पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 831.95 अंक गिरकर 22,072.50 तक लुढ़क गया। इस गिरावट के साथ दोनों सूचकांक पिछले 10 महीनों के अपने सबसे निचले स्तर पर आ गए।

    इस व्यापक गिरावट ने बीएसई-सूचीबद्ध कंपनियों के कुल बाजार पूंजीकरण से लगभग 19 लाख करोड़ रुपये मिटा दिए। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट आगे भी जारी रह सकती है, क्योंकि वैश्विक बाजारों में फिलहाल स्थिरता की कोई संभावना नजर नहीं आ रही।

    जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वी. के. विजयकुमार ने कहा कि, “वैश्विक स्तर पर बाजार अत्यधिक अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे हैं। किसी को नहीं पता कि ट्रंप के टैरिफ के फैसले का असर कैसे और कितनी दूर तक जाएगा।” उनका मानना है कि इस समय “प्रतीक्षा और नजर रखने” की रणनीति ही सबसे उपयुक्त है।

    सोमवार को सभी 13 प्रमुख क्षेत्रीय सूचकांक लाल निशान में बंद हुए। स्मॉल-कैप इंडेक्स 10% और मिड-कैप इंडेक्स 7.3% तक गिर गए। सेंसेक्स में शामिल एक भी शेयर हरे निशान में नहीं रहा। सबसे ज्यादा गिरावट टाटा स्टील में देखी गई, जो 11.25% गिर गया। टाटा मोटर्स, टेक महिंद्रा, इंफोसिस और एचसीएल टेक जैसी बड़ी कंपनियों के शेयरों में भी भारी गिरावट दर्ज की गई।

    बाजार में व्यापक स्तर पर बिकवाली का दौर देखने को मिला। बैंकिंग, आईटी, ऑटो जैसे परंपरागत रूप से मजबूत सेक्टर्स में भी निवेशकों को राहत नहीं मिली। यहां तक कि रक्षात्मक माने जाने वाले सेक्टर भी बिकवाली से नहीं बच सके।

    हालांकि विजयकुमार का मानना है कि घरेलू उपभोग से जुड़ी कंपनियां जैसे कि वित्तीय सेवा, विमानन, होटल, चुनिंदा ऑटो, सीमेंट, रक्षा और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म वाले बिजनेस इस संकट से अपेक्षाकृत कम प्रभावित रहेंगे। फार्मा कंपनियों पर ट्रंप के टैरिफ का असर नहीं पड़ेगा, जिससे इस सेक्टर में स्थिरता बनी रह सकती है।

    अमेरिका में फेडरल रिजर्व प्रमुख जेरोम पॉवेल के बयान और नैस्डैक की गिरावट के चलते वैश्विक निवेशकों की चिंताएं और गहरी हो गई हैं। हालांकि भारत की अमेरिकी निर्यात पर निर्भरता सीमित होने के कारण, इसका प्रभाव अपेक्षाकृत कम रहने की संभावना है। साथ ही भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौता एक राहत की उम्मीद बन सकता है।

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