लखनऊ। रगों के त्योहार होली से पूर्व फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी , शुक्रवार को लखनपुरी के आदिगंगा के गोमती के तट पर स्थापित प्राचीन श्रीमनकामेश्वर मठ-मंदिर में रंगोत्सव मनाया गया। भगवान भोलेनाथ को रंग-अबीर चढ़ाया गया। मंदिर की श्रीमहंत देव्यागिरी सबसे पहले भगवान शिव को रंग अर्पित किया। इस अवसर पर गरीब परिवारों के लोगों को अबीर-गुलाल भी मंदिर की ओर से वितरित किया गया। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की इस एकादशी को आमलकी रंगभरी एकादशी कहा जाता है।
मंदिर की मुख्य सेवादार उपमा पाण्डेय ने जानकारी दी कि इस तिथि में प्रत्येक वर्ष यहां की महंत देव्यागिरी सबसे पहले भगवान मनकामेश्वर को अबीर-गुलाल अर्पित करती है। उसके बाद पूर्व में गुरू रहे संतों को भी रंग चढाती है। इसके बाद उनके शिष्य भी महंत जी को रंग चढ़ाते है। इस अवसर पर वह गरीब परिवारों के लोगों का रंग-अबीर व अन्य जरूरत की चीजें दी जाती है। इस तरह से भोले नाथ के साथ संतो के रंग खेलने से होली की शुरूआत हो जाती है। इस तिथि में काशी के बाबा विश्वनाथ मंदिर में भी विशेष श्रृंगार व पूजन किया जाता है। वहां इस दिन काफी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं।