Wednesday, June 18, 2025
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    काकोरी जैन मंदिर में 8 सितंबर से जैन गुरु श्री सुप्रभ सागर जी एवं प्रणत सागर जी सागर जी महाराज के सानिध्य में दस लक्षण धर्म

    आध्यात्मिक चेतना का महापर्व पयूर्षण पर्व
    लखनऊ। जैन धर्म में शाश्वत पर्व पर्युषण पर्व (दस लक्षण धर्म) के रूप में मनाने की परंपरा आदिकाल से चली आ रही है। इस बार यह पर्व 8 सितंबर से 18 सितंबर तक लखनऊ के सभी मंदिरों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा।

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    इस बार लखनऊ जैन समाज के लिए यह पर्व बड़ा महत्वपूर्ण है क्योंकि जैन गुरु श्री सुप्रभ सागर जी एवं प्रणत सागर जी सागर जी महाराज के सानिध्य में काकोरी में स्थित जैन समाज का तीर्थ स्थल पारसधाम वहां पर जैन गुरु के सानिध्य में यह 10 दिनों तक एक भव्य शिविर का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें भारतवर्ष से अनेक प्रांतो से श्रद्धालूगढ़ आकर के इसमें भक्ति कर धर्म लाभ लेंगे।इस धार्मिक शिविर में 13 वर्ष से 73 वर्ष आयु वाले महिला ,पुरुष सहभागिता ले सकते हैं और शिविरार्थियों के कुछ नियम रहेंगे।

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    इन नियमो का करना पड़ेगा पालन 

    -10 दिन के लिए घर का त्याग करना होगा।
    -मोबाइल ,अंगूठी ,चेन, घड़ी ,पैसा आदि का भी त्याग करना पड़ेगा।
    -दिन में मात्र एक समय भोजन करना होगा।
    -रात्रि में समस्त खाद्य एवं पेय पदार्थ का त्याग करनाहोगा।
    -इन 10 दिनों में 10 धर्म की पूजा की जाती है

    ये है 10 धर्म

    1-उत्तम क्षमा- क्रोध के कारण जीव बैर भाव नहीं छोड़ पाता है दूसरों के दोषो पर, अप्शब्दों पर ध्यान ना देकरके जो स्वभाव में नियम पूर्वक क्षमा धारण करता है वही इस धर्म को पालन कर पाता है ।
    2-उत्तम मार्दव -अहंकार मानव जीवन का घातक शत्रु है इसलिए मान को कषाय रूपी प्रणति कहा गया है मन में कोमलता और व्यवहार में नर्मता रखने वाला व्यक्ति मार्दव धर्म का पालन करता है।
    3-उत्तम आर्जव – ऋजुता अर्थात् सरलता होने पर आर्जव धर्म के भाव
    बनते हैं। माया, छलकपट जीवन में हमेशा दुःख देते हैं।
    4-उत्तम शौच– मन की शुद्धि के लिए मन, वचन काय की एकता जरूरी है।
    5-उत्तम सत्य – मिथ्यात्व को छोड़कर आत्मा के लिए हितकारक वचनों
    को बोलना उत्तम सत्य धर्म है। ।
    6-उत्तम संयम – सम्यक प्रकार से सभी तरह के संकल्प – विकल्पों को
    हटाकर षट काय के जीवों की रक्षा करना तथा मन और इंद्रियों को वश में करने
    की वृत्ति को संयम कहा गया हैं।
    7-उत्तम तप – इच्छाओं के निरोध को तप कहा गया है। जिस प्रकार अग्नि
    में तपाये जाने पर स्वर्ण पदार्थ शुद्ध रूप में आ जाता है उसी प्रकार तप करने से
    अष्ट कर्मों का नाश होकर मोक्ष प्राप्त होता है। अतः मानव जीवन में व्यक्ति तप
    कर कर्मों का छय करता है।
    8-उत्तम त्याग – आत्मा के हित के लिए तथा दूसरों की भलाई के उद्देश्य
    के लिए औषधि, शास्त्र अभय और आहार दान देने का व्यवहार त्याग है और
    राग द्वेष का त्याग उत्तम त्याग धर्म है।
    9-उत्तम आकिंचन्य – आत्म द्रव्य के अतिरिक्त जीवन में कुछ भी कार्यकारी नहीं है अतः परपदार्थों में ममत्व भाव का त्याग उत्तम आकिंचन्य धर्म
    का पालन है।
    10-उत्तम ब्रह्मचर्य – देहाशक्ति से ऊपर उठकर शुद्ध बुद्धि निरंतर आत्मा का ध्यान करते हुए उसी में स्थिर हो जाना उत्तम ब्रह्मचर्य है।

    क्षमा वाणी पर्व का आयोजन 

    पर्यूषणज् महापर्व समभाव, क्षमा, त्याग और वैराग्य भाव की शिक्षा देकर मानव को स्वभाव में स्थिर करता है। इसलिए पर्युषण पर्व आत्मा के हितकारी हैं। अंत में क्षमा वाणी पर्व का आयोजन किया जाता है जिसमें जैन समाज के सभी लोग क्षमावाणी की पूजा करते हैं तत्पश्चात मंदिर में सभी लोग आपस में गले लगते हैं एवं छोटे बड़े के पैर छूते हैं और क्षमा भाव की याचना करते हैं ।

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    मन एक दूसरे के प्रति निर्मल

    इस दिन यह देखा गया है कि साल भर के अंदर किए गए कार्यों के लिए आपस में क्षमा मांगने के पश्चात लोगों का मन एक दूसरे के प्रति निर्मल होता है और वर्षों की कटुता भी आपस में दूर होती है।इस पर्व के आने से पूर्व सभी मंदिरों में साफ सफाई मूर्तियों की साफ सफाई एवं सभी शास्त्रों की देखरेख करी जाती है और लखनऊ के 12 जैन मंदिरों में इस बार सभी दोनों में विशेष पूजा अर्चना भी होगी।

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