Saturday, June 28, 2025
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    जयपुर नाट्य समारोह का समापन – जेकेके में रिश्तों और संस्कारों की रंगमंचीय प्रस्तुति

    जयपुर। जवाहर कला केंद्र (जेकेके) में चल रहे जयपुर नाट्य समारोह का शुक्रवार को सशक्त समापन हुआ। समारोह के दूसरे और अंतिम दिन नाटक ‘जैसा तुम कहो’ का मंचन हुआ, जिसने दर्शकों को न केवल गुदगुदाया बल्कि गहरे सामाजिक संदेश भी दिए। नाटक के लेखक जयवर्धन और निर्देशक वरिष्ठ रंगकर्मी केशव गुप्ता ने एक सामान्य परिवार की कहानी को मंच पर जीवंत कर दर्शकों की तालियाँ बटोरीं।

    फैमिली ड्रामा में छिपे गहरे सामाजिक सरोकार

    नाटक में एक वृद्ध दंपती की कहानी दिखाई गई है, जिनका बेटा विदेश में सेटल हो चुका है। अकेलेपन से जूझ रहे इस दंपती की जिंदगी तब नया मोड़ लेती है जब वे एक किराएदार को घर में रखते हैं। किराएदार से जुड़ा भावनात्मक पक्ष, उसके प्रति विशेष व्यवहार और इससे उपजा पारिवारिक तनाव – इन सबको निर्देशक ने बड़े ही सहज और हास्यपूर्ण अंदाज़ में दर्शाया।

    विदेशी आकर्षण पर व्यंग्य

    नाटक के माध्यम से भारतीय समाज में विदेशी जीवनशैली के प्रति बढ़ते आकर्षण पर कटाक्ष किया गया। खास बात यह रही कि कहानी में आम घटनाओं को मंच पर इस तरह पेश किया गया कि दर्शक सहज ही उनसे जुड़ सके। नाटक में दर्शाया गया कि बिना सोचे समझे लिए गए निर्णय कैसे रिश्तों में दरार ला सकते हैं – और अंततः वही बात चरितार्थ हुई – ‘बिना विचारे जो करे, वो पाछे पछताए।’

    हास्य, व्यंग्य और भावनाओं का संतुलन

    नाटक में अर्जुन देव, रिचा पालीवाल, महेश महावर, माधव शर्मा और वैष्णवी शर्मा ने प्रमुख भूमिकाएं निभाईं। नौकर के किरदार को एक विदूषक के रूप में प्रस्तुत किया गया, जिसने कहानी को हल्का-फुल्का बनाए रखते हुए एकता का संदेश दिया। नाटक का अंत तब और भी रोमांचक हो गया जब विदेश से बेटा अचानक लौट आता है और सभी समस्याओं का समाधान होता है।

    कला प्रेमियों के लिए यादगार शाम

    जयपुर नाट्य समारोह के समापन पर हुए इस नाटक ने कला प्रेमियों को एक भावनात्मक व हास्य से भरपूर अनुभव प्रदान किया। जेकेके के रंगमंच पर प्रस्तुत यह नाटक दर्शकों के दिल में गूंजता रहा और जीवन के छोटे-छोटे निर्णयों की महत्ता को रेखांकित करता नजर आया।

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