Sunday, June 1, 2025
More

    कागदीपुरा दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र छोटा महावीरजी, जहां सफेद सांपों का जोड़ा करता है अभिषेक 

    लखनऊ। मध्य प्रदेश के कागदीपुरा में बना दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र छोटा महावीर जी अपने चमत्कारों के लिया जाना जाता है। जहां सफेद सांपों का जोड़ा अभिषेक करता है। अभिषेक के दौरान पानी दूध में बदल जाता है और मनोकामना पूर्ण होती है।

    यह भी पढ़े-हवा में उड़ कर आया बनेडिया जी का दिगम्बर जैन मंदिर, वैज्ञानिक भी हैरान, खुदाई में कही नहीं मिलीनींव

    मदिर की देखभाल करने वाले लोग बताते है की भगवान महावीरजी की मूर्ति 24 अक्टूबर 2007 को जमीन के नीचे से प्राप्त हुई थी। इसे एक तीर्थयात्री ने स्वप्न में देखा था। यहाँ कई चमत्कारी घटनाएँ देखी जाती हैं जैसे मूर्ति की उंगली से दूध निकलना, मंदिर में सफेद सांपों के जोड़े द्वारा अभिषेक के दौरान पानी का दूध में बदलना, मनोकामना पूर्ण होना आदि।

    यह भी पढ़े-राष्ट्रसंत जैनाचार्य पुलक सागर महाराज का भव्य चातुर्मास उदयपुर में 

    भगवान नेमिनाथजी की 4.5 फीट ऊँची बैठी हुई मुद्रा वाली मूर्ति मंदार के पुरातत्व संग्रहालय में रखी गई है।नालछा के कागदीपुरा मंदिर का इतिहास वर्षाें पुराना है। मंदिर परिसर में वर्षाें पूर्व बच्चों को खेलते समय वहां कुछ हलचल हुई तो उन्होने थोड़ी सी मिट्टी हटाई तो कुछ प्रतिमाजी नजर आई। जैन समाजजन एकत्रित हुए तो प्रतिमा महावीर भगवान की तीन 4.30 फीट पद्मासन प्रतिमा 1000 वर्ष प्राचीन मिली। जो अब पूर्ण तीर्थ छोटा महावीरजी कागदीपुरा बन चुका है।

    यह भी पढ़े-मक्सी पार्श्वनाथ तीर्थ केवल एक धार्मिक स्थल नहीं,बल्कि आस्था और चमत्कारों का प्रतीक है

    यहां मुनि प्रणाम सागरजी महाराज, ज्ञानमती माताजी एवं कई संतों का आगमन हो चुका है। प्रतिदिन दर्शन के लिए पूरे देश से भारी संख्या में दिगंबर जैन समाज के श्रावकों का आना जाना लगा रहता है। प्रतिदिन विधान का आयोजन होता है। तीर्थ पर कम समय में यात्रियों की सुविधाओं की पूरी व्यवस्था कमेटी द्वारा की गई है।

    यह भी पढ़े- गोम्मटगिरि अतिशय क्षेत्र जैन धर्म के आकर्षणों का केंद्र है

    मंदिर में यात्रियों को ठहरने व भोजन के लिए पूरी व्यवस्था है। पं. आशाधर जी ने अपने कई शास्त्रों की रचना इसी कागदीपूरा के नेमिनाथ जिनालय में बैठकर की थी। यहां के अभिषेक के जल से कष्टों का निवारण होता है। भावपूर्वक की गई मनोकामना पूर्ण होती है।

    यह भी पढ़े-दिंगबर जैन समाज का श्री सिद्धवरकूट एक परम पूनीत प्राचीन,महाज्ञान एवं रमणीक, शोभायमन, मोहनी,रुप सिद्धक्षेत्र है 

    भगवान के दाहिने हाथ के अंगूठे से दूध की धार निकलना, यहां की मिट्टी को ले जाकर भवन निर्माण में थोड़ी सी डाल देने से भूमि शुद्ध हो जाना व 2011 में अभिषेक के समय जल का दूध में बदल जाना ऐसे कई चमत्कार यहां हुए है। सफेद नाग-नागिन का मंदिरजी के सामने आना जाना होता है। वहीं अब नवीन जिनालय का निर्माण शुरु हुआ है और तीर्थ के चारों और बाउंड्रीवॉल बनेगी।
    धार से यह मंदिर 23 किमी दूर है। धार से तलवाड़ा, बगड़ी और सीधे कागदीपूरा पहुंचा जा सकता है। वहीं मांडू से लुन्हेरा होते हुए नालछा और सीधे कागदीपूरा 13 किमी का सफर तय कर यहां पहुंच सकते हैं।
    RELATED ARTICLES

    Most Popular