रिपोर्ट – सिद्धार्थ जैन
जयपुर। बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली विकसित करने की दिशा में राजस्थान को एक और महत्वपूर्ण सफलता मिली है। राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग (आरईआरसी) ने 1000 मेगावाट-ऑवर स्टैंड अलोन बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस) की स्थापना के लिए बोलीदाता ऊर्जा कंपनियों द्वारा दिए गए टैरिफ को मंजूरी दी है। राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड द्वारा इस परियोजना को बिल्ड-ऑन-ऑपरेट (बीओओ) मॉडल के तहत वायबिलिटी गेप फंडिंग (वीजीएफ) सहायता के साथ लागू किया जाएगा।
ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हीरालाल नागर ने बताया कि अपनाई गई प्रतिस्पर्धी निविदा प्रक्रिया में सोलर वर्ल्ड एनर्जी सॉल्यूशंस लिमिटेड (250 मेगावाट ऑवर), ओरियाना पावर लिमिटेड (100 मेगावाट ऑवर), रेज पावर एक्सपर्ट्स प्रा. लि. (150 मेगावाट ऑवर) और जेएसडब्ल्यू नियो एनर्जी (500 मेगावाट ऑवर) आदि अग्रणी ऊर्जा कंपनियों ने भाग लिया था। निविदा के तहत प्राप्त टैरिफ दर 2.21 लाख रूपए से ₹2.24 लाख रूपए प्रति मेगावाट प्रति माह के बीच रही जो देश में सबसे कम है। उन्होंने बताया की आयोग ने राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की इस निविदा प्रक्रिया को निष्पक्ष, पारदर्शी और बाजार अनुरूप मानते हुए अनुमोदन प्रदान किया है। उन्होंने बताया कि बीईएसएस परियोजना के लिए अपनाई जा रही यह प्रक्रिया केन्द्र सरकार के विद्युत मंत्रालय द्वारा बैटरी स्टोरेज के लिए जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकरण के साथ ग्रिड स्थिरता को मजबूत करना है।
बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली विकसित करने को मिलेगी गति
ऊर्जा राज्य मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा जी के दिशा-निर्देशन में राज्य सरकार प्रदेश को ग्रीन एनर्जी हब बनाने के लिए कृत संकल्पित है। आरईआरसी की मंजूरी से राज्य में बैटरी ऊर्जा भंडारण परियोजनाओं के विकास को गति मिलेगी, जिससे सौर और पवन ऊर्जा जैसे अक्षय स्रोतों से उत्पन्न बिजली को संरक्षित कर आवश्यकतानुसार उपयोग में लाया जा सकेगा। बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) परियोजनाएं चयनित स्थलों पर स्थापित की जाएंगी, जिनमें प्रसारण निगम के जयपुर और कोटा स्थित ग्रिड सब स्टेशन तथा उत्पादन निगम के सूरतगढ़ और गिरल स्थित विद्युत गृह शामिल हैं। इन स्थलों का चयन तकनीकी, परिचालन और ग्रिड अनुकूलन मानकों के आधार पर किया गया है ताकि नवीकरणीय ऊर्जा का मांग के अनुरूप उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। यह ऊर्जा भंडारण प्रणाली राज्य की वितरण कंपनियों को महंगी पीक आवर्स की बिजली खरीद से मुक्ति दिलाएगी, जिससे प्रतिदिन लगभग 1 करोड़ रूपए तक की संभावित बचत हो सकती है।
राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक देवेन्द्र श्रृंगी ने बताया कि केन्द्रीय विद्युत मंत्रालय ने हाल ही में राजस्थान को 4 हजार मेगावाट ऑवर की बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली क्षमता का आवंटन किया है। उक्त आवंटन के अंतर्गत भारत सरकार पावर सिस्टम डेवलपमेंट फंड से प्रति मेगावाट ऑवर 18 लाख रूपए की दर से वीजीएफ सहायता प्रदान करेगी।
उन्होंने बताया कि बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली विकसित करने की दिशा में राजस्थान देश में अग्रणी राज्य बनकर उभर रहा है। राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2028-29 तक प्रदेश में 18.5 गीगावाट ऑवर की बैटरी एनर्जी स्टोरेज क्षमता विकसित करने की योजना बनाई गई है। उत्पादन निगम द्वारा 1 हजार मेगावाट बैटरी स्टोरेज प्रणाली के अतिरिक्त एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम के माध्यम से भी 1 हजार मेगावाट ऑवर्स बैटरी ऊर्जा भंडारण परियोजना की स्थापना के लिए अलग से निविदाएं जारी की गई हैं। इस प्रकार 2 हजार मेगावाट बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम स्थापित करने के लिए की गई बजट घोषणा को मूर्त रूप देते हुए राजस्थान में लगभग 2 हजार करोड़ का निवेश होगा।