लखनऊ,रघुबीर शर्मा। नवाबों के शहर में क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक रसूख (Status) का पैमाना है। भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच होने वाले चौथे टी-20 मैच को लेकर पिछले एक हफ्ते से राजधानी में जो गहमागहमी थी, वह मैदान के चौकों-छक्कों से ज्यादा ‘मैच के पास’ के इर्द-गिर्द सिमटी हुई थी। लेकिन अंत में जीत न भारत की हुई, न दक्षिण अफ्रीका की; जीत हुई तो बस उस ‘घने कोहरे’ की, जिसने इकाना स्टेडियम की दूधिया रोशनी को अपनी आगोश में ले लिया। वहीं, इस मैच में शाम 6:30 से 9:30 बजे के बीच जो कुछ हुआ, वह किसी हाई-वोल्टेज मुकाबले से कम नहीं था। मैदान पर भले ही खिलाड़ी नहीं उतरे, लेकिन समय और मौसम के बीच एक ऐसा मुकाबला चला जिसने अंततः लाखों फैंस का दिल तोड़ दिया।
पास का खेल: रसूख और फोन कॉल्स
मैच से दो दिन पहले ही लखनऊ का हर दूसरा शख्स ‘जुगाड़’ में लग गया था। क्रिकेट पत्रकारों के फोन की घंटियां थमने का नाम नहीं ले रही थीं। अजीब विडंबना थी। पत्रकार अपनी स्टोरी फाइल करने की तैयारी करते या अपने बॉस की उन फरमाइशों को पूरा करते, जिसमें VVIP पास और कार पास की डिमांड सबसे ऊपर थी।
बीसीसीआई (BCCI) और यूपीसीए (UPCA) के अधिकारियों के फोन ‘वेटिंग’ से बाहर ही नहीं आ पा रहे थे। हर कोई बस एक ही सवाल पूछ रहा था, भाई साहब, एक पास का इंतजाम हो पाएगा क्या?
व्हाट्सएप स्टेटस की ‘जंग’
जैसे ही किसी खुशकिस्मत के हाथ में चमचमाता हुआ पास आता, वह खबर से पहले उसके व्हाट्सएप स्टेटस पर नजर आता। यह जताने की होड़ मची थी कि हम वहां जा रहे हैं, जहां आप नहीं पहुंच पाए। जिसे पास मिला, वह अपनी चौधर दिखा रहा था और जिसे निराशा हाथ लगी, उसकी नाराजगी सोशल मीडिया के तंज में साफ झलक रही थी।
मैच पर भारी पड़ा कोहरा
शाम ढलते ही खेल का असली रोमांच शुरू होना था, लेकिन कुदरत ने अपनी ही स्क्रिप्ट लिख रखी थी। लखनऊ की मशहूर सर्दी और उसके साथ आया घना कोहरा धीरे-धीरे पूरे मैदान पर छा गया। स्टेडियम के बाहर हजारों की भीड़ हाथ में झंडे लिए खड़ी थी, लेकिन विजिबिलिटी (दृश्यता) शून्य की ओर बढ़ रही थी।
अंपायर्स ने कई बार मैदान का मुआयना किया। मैदान पर खिलाड़ियों की जगह सिर्फ सफेद धुंध नाच रही थी। आखिरकार, वह घड़ी आई जिसने लाखों फैंस के दिलों पर पत्थर रख दिया। अंपायर्स ने आधिकारिक तौर पर मैच रद्द करने की घोषणा कर दी।
उम्मीदों पर गिरा घना कोहरा
मैच रद्द होते ही वह ‘पास’ महज कागज का एक टुकड़ा बनकर रह गया जिसे लोग कुछ घंटों पहले अपनी शान समझ रहे थे। नवाबों के शहर की उम्मीदों पर कोहरे ने ऐसा पर्दा डाला कि इकाना का शोर सन्नाटे में तब्दील हो गया। लोग हाथ में तिरंगा लिए भारी मन से घर लौटने लगे जेहन में बस एक ही बात थी कि शायद किस्मत को ‘पास’ का रसूख पसंद नहीं आया।

