Wednesday, August 20, 2025
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    मान को मारना ही मार्दव धर्म को स्वीकार करना है-जैन मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज

    लखनऊ। दस लक्षण धर्म (पर्युषण पर्व) के दूसरे दिन उत्तम मार्दव धर्म की पूजा की गई।  इस मौके पर जैन धर्म के 7वे तीर्थंकर भगवान सुपार्श्वनाथ का गर्भकल्याणक धूमधाम से मनाया गया। वही सआदतगंज जैन मंदिर में प्रथम अभिषेक का सौभाग्य सुमेर चंद, बाबू लाल, श्रीकृष्ण, वीरेंद्र गंगवाल परिवार को प्राप्त हुआ। जबकि शांति धारा कलश की बोली लेकर उत्तम चंद्र जैन के पुत्र राजीव व अमित जैन ने भक्ति पूर्वक भगवान का जलाभिषेक किया।

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    इस मौके पर  में विराजमान जैन गुरु श्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में व्यक्त किया की अहंकार मानव जीवन का घातक शत्रु है,इसलिए मान को कषाय रूपी प्रणति कहा गया है। मन में कोमलता और व्यवहार में नर्मता रखने वाला व्यक्ति मार्दव धर्म का पालन करता है।अहंकार के भार से मुक्त हुआ व्यक्ति परमात्मा को उपलब्ध होता है। जहां अहंकार है वहां मिलन नहीं है ,मात्र दुख है। व्यक्ति के सारे प्रयास अहंकार के हैं यह अहंकार की भावना छिपकली की भावना है जो की छत पर चिपक कर सोच रही और मेरी बदौलत या छत टिकी हुई है ।

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    विनम्रता व्यक्ति को नम्र बनाती है

    अहंकार मनुष्य को कठोर बनाता है और विनम्रता व्यक्ति को नम्र बनाती है।नमन को स्वीकारने वाला ही जीवन का उत्थान करता है अहंकार तो दूसरों को नीचे गिराता है और स्वयं ऊपर उठाना चाहता है पर दूसरों को नीचे गिराने वाला स्वयं नीचे ही गिरता है। आज के कार्यक्रम के मध्य जैन गुरु के चरण प्रक्षालन का सौभाग्य संदीप जैन भारती को प्राप्त हुआ। जबकि शास्त्र भेंट विशाल जैन गोमती नगर को प्राप्त हुआ।

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    कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अरविंद कुमार जैन मुख्य कार्यकारी अधिकारी नगर विकास विभाग उत्तर प्रदेश उपस्थित रहे। उधर इंदिरा नगर दिगंबर जैन मंदिर में भी सभी भक्तों ने मार्दव धर्म की पूजा अर्चना की। आशियाना दिगंबर जैन मंदिर में प्रोफेसर अभय कुमार जैन के निर्देशन में सभी पूजा अर्चना हुई।

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