Saturday, July 19, 2025
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    उच्च प्रजाति के पशुओं की बढ़ोतरी के लिए किया जा रहा है बेहतर सीमन (वीर्य) का उत्पादन

    सीमेन की गुणवक्ता निर्धारित करने के लिये अत्याधुनिक मशीनें  उपलब्ध

    लखनऊ।  उत्तर प्रदेश के पशुधन, दुग्ध विकास, राजनैतिक पेंशन अल्प संख्यक कल्याण, मुस्लिम वक्फ एवं हज तथा नागरिक सुरक्षा विभाग मंत्री धर्मपाल सिंह ने अति हिमीकृत वीर्य उत्पादन केन्द्र रहमानखेडा,मलिहाबाद का निरीक्षण किया गया।
       पशुधन मंत्री द्वारा सांडों व भैसों के बाड़ों, उनको भोजन के रूप में दी जा रही सामग्री का अवलोकन किया गया। उन्होंने  केन्द्र के रख-रखाव पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने गायों की उन्नतिशील प्रजाति में सुधार लाने हेतु कृत्रिम गर्भाधान के उत्पादन में वृद्धि को दृष्टिगत सांडों को और अधिक पौष्टिक आहार दिये जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
    निरीक्षण के दौरान पशुधन विकास परिषद के अध्यक्ष डा० नीरज गुप्ता द्वारा अवगत कराया गया कि केंद्र से सीधे किसान या पशुपालक को सीमन प्राप्त नहीं होता है बल्कि पशुधन विकास परिषद को उपलब्ध कराया जाता है और वहाँ से केन्द्रों को वितरित किया जाता है। प्रतिदिन यहाँ लगभग 9 हजार से 10 हजार डोज सीमन का उत्पादन किया जाता है।  अवगत कराया गया कि इस प्रकार का एक सीमन केन्द्र संस्थान की बाउंड्रीवाल से लगा हुआ निर्मित कराये जाने पर विचार किया जा रहा है।
        निरीक्षण के दौरान मंत्री जी ने निर्देशित किया कि ऐसी व्यवस्था पर विचार कर कार्य किया जाय। जिससे यदि कोई किसान / पशुपालक सीधे यहाँ केन्द्र से सीमन चाहता है तो उसे प्राप्त हो जाय। केन्द्र पर गाय एवं भैंस के सीमन (वीर्य) का उत्पादन किया जाता है। अच्छी नस्ल की गाय एवं भैस की संतति उत्पन्न हो, इसलिये यहाँ पर विभन्न प्रकार की प्रजातियों के सॉड / भैंसे है।
    इन प्रजातियों में मुख्य रूप से शाहीवाल के 56 सोंड, हरियाना नस्ल के 03 गिरी नस्ल के 04 और मुर्रा प्रजाति के 55 भैंसे है जिनसे सीमन प्राप्त किया जाता है। इन सीड़ों और भैसो के रहने के लिये अलग-अलग शेड है इन्हें खाने के लिये 300-400/- किलो वजन वाले सॉड के लिये 04 किलो भूसा, 4 किलो मक्का के साथ सोयाबीन, चोकर, पालिस राइस, मुरली, अश्वगंधा, हरा चारा, चुकन्दर आदि दिये जाते हैं।
    केंद्र पर साडों व भैसों से सप्ताह में दो बार सीमन प्राप्त किया जाता है और इन्हें बड़े बड़े कन्टेनरों में फीजर युक्त रखा जाता है। सीमेन की गुणवक्ता निर्धारित करने के लिये अत्याधुनिक मशीनें यहाँ पर उपलब्ध है। सीमेन का परीक्षण, पैकिंग का कार्य मशीनों द्वारा किया जाता है। मशीनों से परीक्षण करने पर यदि सीमेन में 70 प्रतिशत से कम शुक्राणु पाये जाते हैं तो उन्हें निरस्त कर दिया जाता है। सीमेने प्राप्त करने वाले कक्ष अत्याधुनिक मशीनों व साफ-सफाई से युक्त है। सीमन का वितरण पशुधन विकास परिषद के माध्यम से किया जाता है।
         निरीक्षण के समय हौसला प्रसाद, उप निदेशक / संजय वर्मा, डा० दीति वर्मा चिकित्सा अधिकारी तथा  पशुधन विकास परिषद के अध्यक्ष डा0 नीरज गुप्ता उपस्थित थे।
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