लखनऊ। भले ही सूबे की सरकार के मुखिया ने गोवंशों की सुरक्षा और उनके रखरखाव के लिये लाखों खर्चकर अस्थाई गोशालाओं का निर्माण कराकर गोवंशों की समुचित ब्यवस्था का दावा कर रही हो।लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल इतर है। न्यायपंचायत स्तर पर बनी गोशालाएं गोवंश के लिये वध शालाएं साबित हो रही हैं।

कारण यह कि इनके जिम्मेदारों द्वारा इन गोशालाओं की तरफ ध्यान नहीं दिया जाता है। सचिव और ग्राम प्रधान शायद ही महीनों बाद गोशाला को पहुंचते हों।कारण की दो मनरेगा मजदूरों की ड्यूटी इन गोशालाओं पर वर्षो से चली आ रही है । जिससे जिम्मेदार निश्चिन्त रहते हैं।
जिम्मेदारों की इसी लापरवाही का नतीजा है कि गोशालाओं पर प्रतिदिन भूख प्यास और देख रेख के अभाव मे गोवंशों की मौतें हो रही हैं। इसका नमूना नबीपनाह पंचायत की गौशाला भगवंतखेड़ा गांव में देखी जा सकती है जहां पर मृत गोवंश के कई शव नये पुराने पड़े हैं जो कुत्तों कौवों के निवाले बन रहे हैं। इस सम्बंध में विकास खंड अधिकारी प्रतिभा जायसवाल से बात करने का प्रयास किया गया। लकिन उन से बात नहीं हो सकीं। अक्सर यही होता है की अधिकारी जानकारी होने के बाद फोन नहीं उठता है । आखिर कब तक इस तरह इन की मौत होती रहेगी।