Wednesday, August 20, 2025
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    नाट्य लेखक मो असलम के नाट्य संग्रह ‘रंगमहल के चार द्वार’ का भव्य विमोचन

    लखनऊ। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के निराला सभागार में रविवार को शहर के चर्चित लेखक मो असलम खान के नवप्रकाशित नाट्य संग्रह ‘रंगमहल के चार द्वार’ का भव्य विमोचन समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर साहित्य और रंगमंच से जुड़े कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

    कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. उषा सिन्हा ने की, जबकि विशिष्ट अतिथियों में वरिष्ठ साहित्यकार शकील सिद्दकी, कला वसुधा पत्रिका के प्रधान संपादक अशोक बनर्जी, डॉ. अनिल मिश्र, नाटककार गोपाल सिन्हा, और आलोक श्रीवास्तव शामिल थे। कार्यक्रम का संयोजन ऐमन बेग ने किया।

    कार्यक्रम की शुरुआत लेखक मो असलम खान द्वारा अतिथियों का स्वागत और सम्मान के साथ हुई। इसके बाद, संचालक आलोक श्रीवास्तव ने मो असलम खान के कृतित्व और व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए उनके साहित्यिक सफर का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि मो असलम ने अपने नाटकों में मानवीय मूल्यों को बहुत खूबसूरती से पिरोया है। उनके लेखन में समाज की विसंगतियों और पारिवारिक संबंधों की गहराई को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया है।

    नाटकों की विशेषताएँ और सराहना

    नाटककार गोपाल सिन्हा ने ‘गुलाम रिश्ते’ और ‘खिलौनों की बारात’ जैसे नाटकों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन नाटकों का मंचन सफल रहा और उन्होंने दर्शकों पर गहरा प्रभाव डाला। उन्होंने कहा, “मो असलम साहब ने सामाजिक विसंगतियों को अपने नाटकों में बड़ी संवेदनशीलता के साथ उकेरा है।

    अशोक बनर्जी ने कहा कि उन्होंने ‘रंगमहल के चार द्वार’ के सभी नाटकों को देखा है और उन्हें यह नाटक दर्शकों के साथ संवाद स्थापित करने में सफल लगे। उन्होंने कहा, “इन नाटकों के संवाद चुटीले हैं और समाज की विसंगतियों पर गहरी चोट करते हैं।”

    कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं प्रो. उषा सिन्हा ने मो असलम खान के लेखन की गहराई और उनकी भाषा पर पकड़ की सराहना की। उन्होंने कहा,मो असलम रंगमंच कला के अद्भुत पारखी और लेखन कला के सिद्धहस्त हस्ताक्षर हैं। उनके नाटक सामाजिक सौहार्द, मानवीय मूल्यों और भाषा के सेतु के रूप में कार्य करते हैं।

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    वरिष्ठ साहित्यकार शकील सिद्दकी ने ‘गुलाम रिश्ते’ को सामाजिक संकटों और पारिवारिक संबंधों की टूटन को दर्शाने वाला प्रभावशाली नाटक बताया। उन्होंने कहा,आज के दौर में, जब पारिवारिक रिश्ते कमजोर हो रहे हैं, ऐसे नाटक समाज को नई दिशा दिखाने का काम करते हैं।

    डॉ. अनिल मिश्र ने मो असलम को एक समृद्ध साहित्यिक विरासत का वाहक बताते हुए कहा, उनकी चार दशकों से अधिक की रचनात्मक यात्रा प्रेरणादायक है। उनके भीतर आज भी एक बच्चे की तरह उत्साह और संवेदनशीलता जीवित है। इस अवसर पर क्रिकेटर अशद बेग, राजनीतिज्ञ नफीस बेग, फोटोग्राफर राकेश सिन्हा, सुरेंद्र मौर्य, ऐमन बेग, और कई साहित्यप्रेमी, छात्र, और समाजसेवी उपस्थित थे।

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