
मंत्री ने मंत्रालय द्वारा की गई कई नई पहलों के बारे में भी जानकारी दी, जो पिछले केआईयूजी में नहीं थी, उन्होंने कहा, “इन खेलों में बहुत कुछ पहली बार हुआ है। डेडिकेटेड वेबसाइट के साथ डेडिकेटेड ऐप भी लॉन्च किया गया है। इससे एथलीटों को कागजी कार्रवाई से छुटकारा मिल सकेगा और चेहरे की पहचान तकनीक की मदद से वे आवास, प्रवेश आदि जैसी चीजों का ध्यान रख सकेंगे। साथ ही डिजी-लॉकर की मदद से एथलीट प्रतियोगिता के पूरे होने के तुरंत बाद ही अपने प्रमाण पत्र भी हासिल कर सकेंगे।
टीम प्रयास के महत्व पर जोर देते हुए माननीय मंत्री ने बताया कि, “आपने प्रधानमंत्री के, ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास’ मंत्र के बारे में सुना होगा । जैसा कि आप देख सकते हैं, इन खेलों को खेल मंत्रालय, भारतीय खेल प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश सरकार के साथ-साथ सभी अधिकारियों और समर्थन का एक संयुक्त प्रयास रहा है। स्टाफ के साथ-साथ आप सभी और आम जनता, जो पूरे उत्साह के साथ इसका समर्थन कर रहे हैं। सबका प्रयास या सभी के प्रयासों का इससे बेहतर उदाहरण क्या हो सकता है।

गोरखपुर में होने वाले खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में पहली बार वाटर स्पोर्ट्स को भी शामिल किया गया है। साथ ही पहली बार, ये खेल किसी राज्य के कई शहरों में आयोजित किए जा रहे हैं। मेरा दृढ़ विश्वास है कि 206 विश्वविद्यालयों के एथलीट इन खेलों में खुद को आगे बढ़ाएंगे और कई मौजूदा रिकॉर्ड तोड़ेंगे और नए मील के पत्थर स्थापित करेंगे।
बड़े पैमाने पर हो रहे खेलो इंडिया कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा, “मेरा यह भी मानना है कि इन एथलीटों को खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के माध्यम से जो मंच मिल रहा है, वह माननीय प्रधानमंत्री जी की कल्पना और दृष्टि को साकार करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा, जो भारत को एक खेल राष्ट्र, एक खेल केंद्र के रूप में विकसित करना है।