Saturday, July 19, 2025
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    देश का पहला ‘एनीमल बर्थ कन्ट्रोल’ प्रशिक्षण केन्द्र लखनऊ में बनेगा 

    श्वान के रखरखाव का बेहतर प्रबंधन पर युद्धस्तर पर चल रहा कार्य

    लखनऊ। प्रदेश के समस्त नगर निगमों में श्वानों को बढ़ती संख्या की रोकथाम के लिए एनीमल बर्थ कन्ट्रोल (एबीसी) सेन्टर बनाये जायेंगे। लोगों को जागरूक करने साथ प्रशिक्षित भी किया जायेगा। श्वान के रखरखाव का बेहतर प्रबंधन कैसे हो इस को लेकर  देश का पहला ‘एनीमल बर्थ कन्ट्रोल’ प्रशिक्षण केन्द्र लखनऊ में शीघ्र बनाया जायेगा।

    ‘डॉग मैटर्स’ पर आयोजित हुआ सेमिनार

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    प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात नगरीय निकाय निदेशालय के सभागार में ‘डॉग मैटर्स’ पर आयोजित राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार की अध्यक्षता कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि  प्रदेश सरकार गुड गवर्नेंस की ओर बढ़ रही है और श्वानों की बढ़ती हुई संख्या एवं इससे उत्पन्न समस्या का बहुत ही सहानुभूति पूर्ण तरीके से समाधान निकाला जायेगा।

    इसके लिए उत्पन्न परिस्थितियों का अधिक से अधिक अध्ययन किया जायेगा। अभी हॉल में कई जगहों से स्वानों के मानव पर अक्रमण करने की खबरें आई हैं। यहां तक कि अब तो श्वान समूह में आकर इंसानों पर हमला करने लगे है, फिर भी यह तो मानना ही होगा कि इस पृथ्वी में इंसान के अलावा स्वान अकेला ऐसा प्राणी है, जो पूरी वफादारी निभाता है।

    जीवों के प्रति दया का भाव

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    सेमिनार को सम्बोधित करते हुए विशेष सचिव नगर विकास डॉ0 राजेन्द्र पैंसिया ने कहा कि हमारे देश में बचपन से ही जीवों के प्रति दया का भाव रखना सिखाया जाता है। उन्होंने कहा कि मानव और पशु के बीच संघर्ष न हो इस पर विशेष रूप से हमारी संस्कृति में जोर दिया गया है।

    श्वानों का पूरी तरह से बन्ध्यीकरण

    नगर आयुक्त  इन्द्रजीत सिंह ने कहा कि एक से दो वर्षों के भीतर श्वानों का पूरी तरह से बन्ध्यीकरण पूरा कर लिया जायेगा। अभी लखनऊ नगर निगम के अंतर्गत 55 हजार श्वानों का बन्ध्यीकरण किया गया है। मानव-श्वान संघर्ष बढ़ने के कारणों का भी परीक्षण किया जायेगा। ‘एनीमल वेलफेयर’ पर कार्य होगा।

    श्वानों के सामाजिक महत्व

    एडब्ल्यूबीआई की सहायक सचिव प्राची जैन श्वानों के बेहतर रखरखाव के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता तथा ‘एबीसी’ रूल-2023 पर अपनी बात रखी और प्रेजेंटेशन भी प्रस्तुत किया।
    सेमिनार में फिश वेलफेयर इनीसिएटिव इण्डिया के टॉम बिलिंग्टन ने श्वानों के सामाजिक महत्व पर बोलते हुए कहा कि श्वान मानव व्यवहार की वजह से ही एग्रेसिव हो जाते हैं उन्हें भी दया और रखरखाव की जरूरत है। श्वान समाज के लिए बहुत उपयोगी है।

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