Wednesday, July 23, 2025
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    नवाचार, प्राकृतिक खेती और एफपीओ के सशक्तिकरण से बनेगा विकसित उत्तर प्रदेश :  मुख्यमंत्री योगी  

    • उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद ने मनाया 36वां स्थापना दिवस, कृषि वैज्ञानिकों का सम्मान और विकसित कृषि पर राष्ट्रीय संगोष्ठी

    लखनऊ । उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (UPCAR) ने आज लखनऊ स्थित भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान में अपने 36वें स्थापना दिवस के अवसर पर ‘कृषि वैज्ञानिक सम्मान समारोह’ एवं ‘राष्ट्रीय संगोष्ठी विकसित कृषि, विकसित उत्तर प्रदेश @2047’ का आयोजन किया।

    इस भव्य कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उनके साथ कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) उद्यान, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार एवं कृषि निर्यात दिनेश प्रताप सिंह, और कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख भी मंच पर मौजूद रहे।

    कृषि नवाचारों को बढ़ावा देने पर जोर

    इस समारोह का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के कृषि क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहित करना और वर्ष 2047 तक उत्तर प्रदेश को कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और विकसित राज्य के रूप में स्थापित करने की रणनीति पर चर्चा करना था।

    कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इसके उपरांत परिषद के अध्यक्ष कैप्टन (से.नि.) विकास गुप्ता ने स्वागत उद्बोधन में कृषि अनुसंधान की प्रगति और भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला।

    कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि कृषि प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और सरकार इसका सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस अवसर पर अतिथियों का अभिनंदन किया गया और एक महत्वपूर्ण कृषि विषयक पुस्तक का विमोचन भी हुआ।

    कृषि वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया

    मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘उपकार’ एवं ‘उपास’ पुरस्कारों के अंतर्गत कृषि वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया। उन्होंने अपने अभिभाषण में उत्तर प्रदेश की कृषि की वर्तमान स्थिति और भावी योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि “कृषि के क्षेत्र में नवाचार, प्राकृतिक खेती, एफपीओ का सशक्तिकरण और टेक्नोलॉजी के समावेश से ही उत्तर प्रदेश को 2047 तक विकसित कृषि राज्य बनाया जा सकता है।

    तकनीकी सत्र में विशेषज्ञों की विशेष प्रस्तुतियाँ

    कार्यक्रम के दूसरे चरण में तकनीकी सत्र का आयोजन हुआ, जिसकी अध्यक्षता प्रमुख सचिव कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान श्री रविंदर ने की। इस सत्र में कई कृषि विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर अपने विचार रखे। डॉ. ए.के. सिंह, कुलपति, आरएलबीकेएयू, झांसी ने बुंदेलखंड में कृषि विकास की चुनौतियों और संभावनाओं पर चर्चा की। डॉ. डी.के. सिंह, प्रोफेसर, जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय, पंतनगर ने प्राकृतिक खेती के लाभों को रेखांकित किया।

    डॉ. पी.एल. सरोज, प्रधान वैज्ञानिक, सीआईएसएच, लखनऊ ने बागवानी के स्वास्थ्य और आर्थिक महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ. राजीव कुमार, प्रधान वैज्ञानिक, आईएआरआई, नई दिल्ली ने सतत कृषि के लिए IFS मॉडल की उपयोगिता समझाई। डॉ. शुशांत श्रीवास्तव, प्रोफेसर, एनडीयूएटी, अयोध्या ने पशुपालन की कृषि में भूमिका पर विस्तार से जानकारी दी। डॉ. एच.एन. सिंह, प्रोफेसर, पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय ने राज्य के कृषि विकास की दिशा पर विचार रखे। एफपीओ की भूमिका श्री पी.एस. ओझा, पूर्व राज्य समन्वयक, एफपीओ सेल, उत्तर प्रदेश ने कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के व्यावसायीकरण में योगदान को रेखांकित किया।

    कार्यक्रम का समापन

    संगोष्ठी का समापन डॉ. परमेंद्र सिंह, डीडीजी, उपकार, लखनऊ के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। कार्यक्रम में राज्य भर से आए कृषि वैज्ञानिकों, कृषि अधिकारियों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और किसानों ने हिस्सा लिया।

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