Friday, July 18, 2025
More

     सपनों पर विश्वास पहले खुद को करना होता है, फिर परिवार भी साथ चलता है : योगश दहिया

    बेंगलुरु। टेलीविजन स्क्रीन पर रोमांच की झलक थी, जब प्रो कबड्डी लीग की तीन फ्रेंचाइज़ी एक तीव्र बोली युद्ध में आमने-सामने थीं। अपने साधारण से घर में बैठकर योगेश दहिया अपनी किस्मत को रियल-टाइम में देख रहे थे, हर बढ़ती बोली के साथ उनका दिल तेज़ी से धड़क रहा था।

    23 वर्षीय डिफेंडर याद करते हुए कहा कि मैं टीवी पर प्लेयर ऑक्शन लाइव देख रहा था। पहले बेंगलुरु बुल्स बोली लगा रही थी, फिर पटना पाइरेट्स, फिर बंगाल वॉरियर्ज़। ये सब आंखों के सामने होते देख रहा था।  वह इस नीलामी में सबसे महंगे भारतीय डिफेंडर बनकर उभरे, जब बेंगलुरु बुल्स ने उन्हें 1.125 करोड़ रुपये में खरीदा।

    दहिया ने कहा कि नीलामी कक्ष की यह ड्रामा युवा खिलाड़ी के लिए भावनाओं के तूफ़ान में बदल गई। थोड़ा नर्वस था – क्या होगा? कौन लेगा? किस टीम में जाऊंगा? लेकिन कुल मिलाकर बहुत मज़ेदार और रोचक अनुभव था।

    जब आखिरकार बुल्स के पक्ष में हथौड़ा गिरा, तो जश्न केवल टीम के वॉर रूम तक ही सीमित नहीं रहा। उनके गांव में भी परिवार खुशी से झूम उठा जब यह पुष्टि हुई कि वे अब प्रो कबड्डी लीग इतिहास के सबसे महंगे भारतीय डिफेंडर बन चुके हैं। परिवार बहुत खुश था। मां-पापा बहुत खुश थे कि उनका बेटा इतना क़ीमती बन गया है। उन्हें गर्व महसूस हुआ कि मैंने यह पहचान हासिल की है। दहिया ने साझा किया।

    हालांकि, हमेशा से ऐसा नहीं था। गांव के मैदानों से प्रोफेशनल स्टारडम तक का सफर 2018 में एक संयोग से शुरू हुआ। गांव में सीनियर्स खेलते थे। उन्हें देखकर कबड्डी में रुचि जगी। इससे स्कूल के काम से भी बच जाता था और मज़ा भी आता था। उन्होंने ईमानदारी से बताया।

    परिवार का समर्थन शुरुआत में नहीं मिला। शुरुआत में ज़्यादा सपोर्ट नहीं था। लेकिन जब मैंने अच्छा प्रदर्शन करना शुरू किया, तब परिवार ने रुचि दिखाई और सपोर्ट करना शुरू किया। जब कभी प्रैक्टिस पर जाने का मन नहीं करता था, तो कहते थे ‘उठ, प्रैक्टिस पर जा। घर पर क्या करेगा? परिवार का यह रूपांतरण, दहिया की खुद की खिलाड़ी के रूप में यात्रा का प्रतिबिंब है।

    उनके विकास की प्रेरणा एक अप्रत्याशित स्रोत से आई। उनके चाचा का बेटा, जिसने उस प्रतिभा को पहचाना जिसे बाकी लोग केवल एक गांव का लड़का समझते थे। उसी ने मुझे खेल से जोड़ा। उसने मुझे खेलना शुरू करवाया। वह लगातार मुझे गाइड करता रहा, सलाह देता रहा और मेरे साथ मेहनत करता रहा। यही मार्गदर्शन उनकी असाधारण यात्रा की नींव बना।

    दहिया का ग्रोथ फ्लैशी मूव्स या शो-ऑफ से नहीं हुआ है, बल्कि उन्होंने एक साइलेंट किलर की छवि बनाई है। ऐसा डिफेंडर जो शांति से लेकिन सटीक वार करता है। उनकी सोच सरल लेकिन गहरी है।धैर्य से खेलना पड़ता है। ज़्यादा एग्रेसिव नहीं होना, ज़्यादा ग़लतियां नहीं करनी। सही समय पर टैकल करना चाहिए। टीम के लिए खेलना चाहिए। जब ज़रूरत हो, तभी टैकल करता हूं। टीम के लिए। अपने लिए मत खेलो।

    इस रिकॉर्ड-ब्रेकिंग कॉन्ट्रैक्ट के साथ बड़ी उम्मीदें भी जुड़ी हैं, लेकिन दहिया इस दबाव से बेफिक्र दिखते हैं। बेंगलुरु बुल्स का हिस्सा बनकर बहुत अच्छा लग रहा है। मैं उनके लिए खेलूंगा और इस सीज़न में उन्हें रिप्रेज़ेंट करूंगा, उन्होंने आत्मविश्वास से कहा।

    आगामी सीज़न के लिए उनके लक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट हैं। मैं अपनी टीम के लिए अपना बेस्ट देना चाहता हूं। और इस साल, उम्मीद है हम ट्रॉफी उठाएंगे। यही मेरा लक्ष्य है। यह लक्ष्य व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा और टीम की जिम्मेदारी दोनों को दर्शाता है। एक ऐसे खिलाड़ी की पहचान जो जानता है कि टीम की जीत के बिना व्यक्तिगत सफलता का कोई मतलब नहीं।

    RELATED ARTICLES

    Most Popular