जयपुर। सवाई माधोपुर स्थित रणथंभौर टाइगर रिजर्व से एक बार फिर खुशखबरी सामने आई है। बाघिन टी-111 ‘शक्ति’ ने दो शावकों को जन्म दिया है। यह खबर सामने आने के बाद वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी संस्थाओं में खुशी की लहर है।
दो नवजात शावकों
वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बाघिन शक्ति को रणथंभौर के जोन-4 और कुण्डेरा रेंज के जंगलों में आज अपने दो नवजात शावकों के साथ देखा गया है। रविवार सुबह जामुनदेह क्षेत्र में शक्ति और उसके शावकों की एक झलक कैमरे में भी कैद हुई। सूचना मिलते ही विभाग की टीम मौके पर पहुंची और बाघिन की मॉनिटरिंग शुरू कर दी। फिलहाल, टीम बाघिन की गतिविधियों पर नजर रख रही है। हालांकि झाड़ियों के घने होने के कारण बाघिन और शावक स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं दे रहे हैं, लेकिन उनकी आवाजें सुनाई दे रही हैं।
वन अधिकारियों ने बताया कि बाघिन शक्ति की उम्र लगभग सात वर्ष है और यह उसका दूसरा प्रसव है। इससे पहले वर्ष 2021 में शक्ति ने चार शावकों को जन्म दिया था। शक्ति, रणथंभौर की प्रसिद्ध बाघिन कृष्णा (टी-19) की संतान है, जो अपनी खूबसूरती और व्यवहार के लिए जानी जाती रही है। वर्ष 2025 की शुरुआत रणथंभौर के लिए बेहद शुभ रही है। अब तक तीन बाघिनों ने कुल 7 शावकों को जन्म दिया है। बाघिन टी-2313 ने 2, बाघिन सुल्ताना ने 3 और अब शक्ति ने 2 शावकों को जन्म देकर रणथंभौर में बाघों की संख्या में इजाफा किया है।
स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड के पूर्व सदस्य धीरेंद्र के. गोधा ने बताया कि यह वन विभाग और उसकी टीम की मेहनत का नतीजा है। उन्होंने कहा कि जिन वनकर्मियों ने जमीन पर रहकर लगातार निगरानी और सुरक्षा का कार्य किया, उनकी वजह से आज हमारे जंगल सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान भी जल्द ही मध्य प्रदेश की तरह ‘टाइगर स्टेट’ के रूप में जाना जाएगा।
रणथंभौर नेशनल पार्क देश का सबसे प्रसिद्ध टाइगर रिजर्व
बता दें की रणथंभौर टाइगर रिजर्व में एक अक्टूबर से पर्यटकों के लिए सफारी सीजन चल रहा है। यहां कुल 10 जोन हैं, जहां प्रतिदिन सुबह छह से नौ और दोपहर तीन से छह बजे तक सफारी कराई जाती है। लगभग 1700 वर्ग किलोमीटर में फैला रणथंभौर नेशनल पार्क देश के सबसे प्रसिद्ध टाइगर रिजर्व में से एक है। फिलहाल यहां 84 बाघ, बाघिन और शावक हैं, जबकि एक बाघ के लिए लगभग 35 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र आवश्यक होता है। ऐसे में रिजर्व की क्षमता करीब 50 बाघों की है, लेकिन अब यहां बाघों की संख्या इसकी क्षमता से कहीं अधिक हो चुकी है।
दो भागों में बंटा है टाइगर रिजर्व
रणथंभौर टाइगर रिजर्व को दो भागों में बांटा गया है। पहला हिस्सा सवाई माधोपुर में स्थित है, जिसे आरटीआर-एक कहा जाता है। दूसरा हिस्सा करौली और धौलपुर तक फैला है, जिसे आरटीआर-दो के नाम से जाना जाता है। आरटीआर-एक में फिलहाल 75 बाघ-बाघिन और शावक मौजूद हैं, जबकि दोनों हिस्सों को मिलाकर यह संख्या 90 के आसपास पहुंच चुकी है। पर्यटन की दृष्टि से यह क्षेत्र अत्यंत महत्वपूर्ण है और वर्ष 2024 में इससे लगभग 600 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद जताई गई है।