Friday, July 11, 2025
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    राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में निःशुल्क बस्ति कर्म चिकित्सा शिविर का शुभारंभ

    जयपुर। राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (मानद विश्वविद्यालय), जयपुर के पंचकर्म विभाग द्वारा वर्षा ऋतु में शरीर की प्राकृतिक शुद्धि, रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि और वात दोषों के शमन के उद्देश्य से ऋतु शोधन कार्यक्रम के अंतर्गत निःशुल्क बस्ति कर्म चिकित्सा शिविर का आयोजन किया जा रहा है।

    यह शिविर 11 जुलाई से 19 अगस्त तक संचालित किया जाएगा। इस विशेष शिविर का शुभारंभ मंगलवार को संस्थान के कुलपति प्रो. संजीव शर्मा तथा आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के वरिष्ठ सलाहकार कौस्तुभ उपाध्याय ने किया।

    इस अवसर पर कुलपति ने कहा कि संस्थान निरंतर जनस्वास्थ्य संवर्धन एवं आयुर्वेद चिकित्सा के प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न जनकल्याणकारी गतिविधियों का आयोजन करता आ रहा है। बस्ति कर्म चिकित्सा शिविर न केवल आयुर्वेद की प्रभावशीलता को आमजन तक पहुँचाने का एक प्रयास है, बल्कि यह रोगों की रोकथाम और संपूर्ण स्वास्थ्य रक्षा की दिशा में भी एक प्रभावी पहल है।

    क्या है बस्ति कर्म?

    पंचकर्म विभागाध्यक्ष डॉ. गोपेश मंगल ने बताया कि बस्ति कर्म पंचकर्म चिकित्सा की एक प्रमुख एवं प्रभावशाली विधि है। यह चिकित्सा विशेष रूप से वर्षा ऋतु में अत्यंत लाभकारी मानी जाती है, जब शरीर में वात दोष का प्रभाव अधिक होता है। बस्ति कर्म के माध्यम से आंतों की सफाई एक प्राकृतिक और आयुर्वेदिक विधि से की जाती है, जिससे न केवल शरीर शुद्ध होता है बल्कि पाचन तंत्र मजबूत होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होती है।

    डॉ. मंगल ने बताया कि बस्ति कर्म लकवा, जोड़ों का दर्द, गठिया, कमरदर्द, त्वचा रोग, कब्ज, मानसिक एवं नाड़ी विकारों जैसे अनेक रोगों में लाभकारी है। यह चिकित्सा योग्य आयुर्वेद चिकित्सक की देखरेख में ही करवाई जानी चाहिए।

    शिविर में निःशुल्क परामर्श एवं उपचार की सुविधा

    शिविर में रोगियों को आयुर्वेद विशेषज्ञों की निगरानी में निःशुल्क परामर्श एवं उपचार प्रदान किया जाएगा। संस्थान ने आमजन से इस आयुर्वेदिक चिकित्सा का अधिकाधिक लाभ उठाने की अपील की है।

    शुभारंभ समारोह में डॉ. किरण, डॉ. वैभव, डॉ. मिलिंद सहित संस्थान की कार्यकारी परिषद (ईसी) के सदस्यगण भी उपस्थित रहे। संस्थान द्वारा आयोजित यह शिविर न केवल आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की उपयोगिता को रेखांकित करता है, बल्कि स्वस्थ भारत की दिशा में भी एक सशक्त कदम है।

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