लखनऊ। मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में स्थित मक्सी पार्श्वनाथ तीर्थ, केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था और चमत्कारों का प्रतीक है। उज्जैन से 38 किलोमीटर और इंदौर से 72 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह तीर्थ, मक्सी रेलवे स्टेशन से मात्र 3 किलोमीटर दूर है।
यह भी पढ़े- दिंगबर जैन समाज का पिसनहारी मढ़िया मंदिर की पौराणिक गाथा मन को छू लेती है
यह स्थान जैन धर्मावलंबियों के लिए खास महत्व रखता है और अपनी ऐतिहासिकता व अद्भुत घटनाओं के कारण सभी को आकर्षित करता है। इस क्षेत्र में दिगंबर और श्वेतांबर दोनों संप्रदायों द्वारा पूजा की जाती है। मुख्य मूर्ति भगवान पार्श्वनाथजी की है, जिनकी पूजा दिगंबर सुबह 6 से 9 बजे के बीच करते हैं। मंदिर में तीर्थयात्रियों के जाने पर कोई रोक नहीं है। मंदिर के चारों ओर 52 डेरियां हैं।
भगवान सुपरश्वनाथजी का एक छोटा मंदिर है जो दिगंबरों के प्रबंधन के अधीन है। हाल ही में इसके पुनर्निर्माण ने इसे अद्भुत सुंदरता प्रदान की है। कहा जाता है कि सम्राट हुमायूं ने अपने बल का उपयोग करके इस मंदिर को नष्ट करने की कोशिश की थी, लेकिन जिन लोगों ने ऐसा करने की कोशिश की, वे अपनी दृष्टि खो बैठे। उनकी दृष्टि तभी बहाल हुई जब सम्राट ने माफी मांगी।
गजनवी की कहानी: जब आस्था ने बदल दिया इतिहास
कहानी है महमूद गजनवी की, जिसने मक्सी पहुँचने पर मंदिर को तोड़ने की योजना बनाई। लेकिन उसी रात वह इतनी गंभीर बीमारी का शिकार हो गया कि उसे अपनी भूल का एहसास हुआ। उसने इसे भगवान पार्श्वनाथ का चमत्कार माना और मंदिर को नुकसान न पहुँचाने का आदेश दिया। पश्चाताप स्वरूप उसने मंदिर के मुख्य द्वार पर पाँच ईरानी शैली के कंगूरे बनवाए। ये कंगूरे आज भी इस घटना का प्रमाण हैं और मंदिर की सुरक्षा का प्रतीक माने जाते हैं।
चोरों का अद्भुत अनुभव
मक्सी पार्श्वनाथ से जुड़ी एक और दिलचस्प घटना बताई जाती है। एक रात कुछ चोर मंदिर में चोरी के इरादे से घुसे। लेकिन जैसे ही उन्होंने सामान बाँध लिया, वे अंधे हो गए। पूरी रात रास्ता खोजते रहे, लेकिन बाहर नहीं निकल सके। सुबह पकड़े जाने के बाद इस घटना ने मंदिर के चमत्कार को और भी प्रसिद्ध कर दिया।
भगवान पार्श्वनाथ की भव्य प्रतिमा
मंदिर में भगवान पार्श्वनाथ की 3.5 फीट ऊँची काले पाषाण से निर्मित प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में विराजमान है। सात नागों की छत्रछाया वाली इस प्रतिमा के परिकर में गज, चामरधारी इंद्र और श्रावक-श्राविका की आकृतियाँ भी बनी हैं। इसके अलावा, मूलवेदी के दोनों ओर नेमिनाथ और पार्श्वनाथ की अन्य प्रतिमाएँ भी स्थापित हैं।
यह भी पढ़े-दिंगबर जैन समाज का श्री सिद्धवरकूट एक परम पूनीत प्राचीन,महाज्ञान एवं रमणीक, शोभायमन, मोहनी,रुप सिद्धक्षेत्र है
मक्सी पार्श्वनाथ एक ऐसा तीर्थ है, जहाँ चमत्कार और आस्था के अनूठे किस्से हर किसी को अपनी ओर खींचते हैं। यह स्थान सिर्फ जैन धर्म के अनुयायियों के लिए नहीं, बल्कि उन सभी के लिए प्रेरणास्रोत है, जो धर्म और चमत्कारों में विश्वास रखते हैं। इस पवित्र स्थल की यात्रा, न केवल आपकी आस्था को प्रबल करेगी, बल्कि आपको एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव से भी भर देगी।