Tuesday, July 1, 2025
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    जैन युवा वर्ग को धार्मिक संस्कारों से संचित कर देश की उन्नति में लगा रहा श्रमण ज्ञान भारती

    पांच वर्षों तक उच्च शिक्षा के साथ रोजगार परख भी बना रहा संस्थान

    लखनऊ। श्री जम्बूस्वामी दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र चौरासी मथुरा की पावन वसुन्धरा पर 11 जुलाई 2001 को भ्रमण ज्ञान भारती छात्रावास का बीजारोपण हुआ। अपने 22 साल के इतिहास में इस संस्थान ने देश भर के विभिन्न राज्यों के प्रतिभाशाली छात्रों को बहुत ही उच्च पदों पर आसीन कराया और जैन समाज के संस्कारों उनके धार्मिक विचारों को जगह-जगह फैलाया।
    यह संस्थान आज भी छात्रों को जैन धर्म, उनके विचारों और उनकी पूजा अर्चना को लेकर बहुत ही सजग है।इसमें छात्र भी अपने पूरे तन, मन और विचारों से जुड़े हुए हैं।इसके साथ ही अच्छे-अच्छे कॉलेज में दाखिला लेकर अपने जीवन को उन्नत सील बन रहे हैं। जिसमे देश के मूर्धन्य विद्वान रतनलाल बैनाड़ा, आगरा, डॉ. शीतलचन्द्र जैन, जयपुर, ब्र. तरूण भैया इन्दौर, ब्र.अशोक भैया इन्दौर समेत भारी संख्या में जैन समाज के लोगों ने समय-समय पर शिक्षण व संरक्षण संस्था को सहयोग प्राप्त होता रहा है।

    संस्था के अधिष्ठाता के रूप में निरंजनलाल बैनाड़ा आगरा द्वारा निभाया गया उत्तरदायित्व उल्लेखनीय है। जिनको संस्था को पोषित कर फल देने का श्रेय जाता है। इसके साथ ही जम्बूस्वामी सिद्धक्षेत्र के अध्यक्ष सेठ विजय कुमार जो संस्था के भी अध्यक्ष है। इसके साथ ही आनन्द प्रकाश जैन आगरा (मंत्री) व सुभाषचन्द्र जैन मथुरा (कोषाध्यक्ष) भी संस्था को नित्य प्रति संचालित करने में अपना पूर्ण योगदान दे रहे हैं।

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    संस्था के उद्देश्य

    संस्था का मूल उद्देश्य आगमानुकूल श्रमण परम्परा को संरक्षित करना तथा समाज में धार्मिक विचारों के प्रचार-प्रसार हेतु आधुनिक लौकिक शिक्षा सम्पन्न विद्वानों को तैयार करना ताकि ये युवक रोजगार परक जीवन यापन कर सकें और निरंतर धर्म की प्रभावना बनाऐ रखें।

    दसवीं पास छात्रों को मिलता है प्रवेश

    प्रतिवर्ष 10वीं कक्षा उत्तीर्ण छात्रों को प्रवेश देकर उन्हें पाँच वर्ष तक संस्थान में आवास, भोजन, पुस्तकें एवं लौकिक शिक्षा सम्पूर्ण सुविधाऐं उपलब्ध कराना एवं पूर्ण रूप से अभिभावक व गुरू का कर्तव्य निर्वहन करना। छात्रों को लौकिक शिक्षा हेतु नगर के विभिन्न स्कूल व कॉलेजों में योग्तानुसार वाणिज्य, विज्ञान व कला आदि विषयों की शिक्षा दिलवाकर स्नातक की डिग्री दिलवाना कम्प्यूटर, वास्तु शास्त्र, ज्योतिष शास्त्र, संगीत, विधि-विधान आदि विषयों में छात्रों को शिक्षित करना साथ ही प्राकृत, संस्कृत भाषा का ज्ञान कराना छात्रों के धर्म के प्रचार-प्रसार एवं नैतिक सदाचार की शिक्षा देकर जैन समाज को उत्तम श्रावक विद्वान उपलब्ध कराना तथा रोजगार के मार्ग भी उपलब्ध कराना।

    छात्रावास की वर्तमान स्थिति

    100 छात्रों के आवास हेतु 30 बड़े कमरों से युक्त भवन, टेबिल-कुर्सी, लोहे की अलमारी युक्त इस समय तैयार है। छात्रावास व संस्था का कार्यालय, कम्प्यूटर रूम, लाईब्रेरी कक्ष, मीटिंग हॉल व संस्था में आने वाले विशिष्ट महानुभावों के लिए अतिथि कक्ष की व्यवस्था की गई है। नव निर्मित वृहद् आकार की भोजनशाला है। जिसमें 100 छात्र एक साथ भोजन ग्रहण कर सकते हैं। भोजनालय के ऊपर प्रथम तल पर चार फ्लैट है जो छात्रावास के शिक्षकों, पदाधिकारियों व आगन्तुक विशिष्ट अतिथियों की सुविधा हेतु उपलब्ध हैं।

    धार्मिक शिक्षण प्रशिक्षण शिविर

    जैन संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन व धार्मिक ग्रन्थों एवं सिद्धान्तों की जानकारी के लिए बालक, युवाओं एंव प्रौढ़ श्रावकों को धर्म में सम्यक् श्रद्धा जागृत करने तथा अहिंसा प्रधान धर्म की अभिवृद्धि हो, इसके लिए संस्थान द्वारा सम्पूर्ण भारत में विभिन्न स्थानों पर धार्मिक शिक्षण शिवरों का आयोजन किया जाता है।

    पर्वो पर प्रवचन, विधि-विधान

    पर्युषण पर्व, अष्टान्हिका पर्व आदि अवसरों पर संस्था द्वारा सम्पूर्ण भारतवर्ष में धर्म प्रभावना के लिए प्रतिवर्ष लगभग 70 स्थानों पर प्रवचनार्थ एवं विधि-विधान हेतु विद्वान शिक्षकों एवं अध्ययनरत विद्वानों को भेजा जाता है। इस तरह अखिल भारतीय स्तर पर विभिन्न नगरों में जाकर विद्वान धर्म भावना करते हैं। संस्था में वर्तमान में 70 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। साथ संस्था द्वारा प्रतिवर्ष पाँच पूर्व छात्रों को सीए,एमबीए कराने के लिए भोजन आवास प्रदान कर सहयोग किया जाता हैं। वर्तमान में अधीक्षक जिनेन्द्र समेत 5 शिक्षक संस्था की सेवा में कार्यरत हैं।
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