जयपुर। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा है कि जब यूनान, मिश्र, रोम जैसी अनेक प्राचीन सभ्यताएं काल के प्रवाह में लुप्त हो गई, तब भी भारत की सनातन परंपरा आज तक जीवंत और प्रवाहमान बनी हुई है।
उन्होंने कहा की इसका श्रेय भारत की साधु-संत परंपरा को जाता है, जिसने न केवल समाज को आध्यात्मिक रूप से जागरूक बनाए रखा, बल्कि उसे सन्मार्ग पर अग्रसर करने का कार्य भी किया
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रविवार को पाली जिले में आत्म वल्लभ जैन परिषद एवं सकल जैन समाज पाली द्वारा आयोजित पद्मश्री सम्मानित जैनाचार्य विजय नित्यानंद सूरीश्वर महाराज के अभिनंदन समारोह में शामिल केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत की सनातन परंपरा गंगा की तरह सतत प्रवाहित होती रही है और इस परंपरा को जीवित रखने में साधु-संतों की भूमिका अत्यंत निर्णायक रही है।
उन्होंने कहा कि जब भारत पर आक्रमण हुए, जब तलवारें हमारी संस्कृति को नष्ट करने के लिए उठीं, तब भी जैन धर्म और अन्य आध्यात्मिक धाराओं ने अपने विवेक और चेतना से समाज को दिशा दी।
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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में जब समाज को वैचारिक प्रदूषण और नैतिक भ्रांतियों के माध्यम से पथभ्रष्ट करने के प्रयास किए जा रहे हैं, तब भी संत समाज की सक्रिय उपस्थिति के कारण भारत की सांस्कृतिक धारा आज भी सशक्त और दिशा देने वाली बनी हुई है।
उन्होंने यह विश्वास भी व्यक्त किया कि यह धारा न केवल भारत, बल्कि सम्पूर्ण विश्व के कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर रही है। शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी सांस्कृतिक विरासत के बल पर एक नई पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि आज भारत एक बार फिर उस मुकाम पर है, जहां पूरी दुनिया उसकी ओर आशा भरी दृष्टि से देख रही है। वैश्विक स्तर पर संघर्ष और अस्थिरता के इस युग में भारत की सनातन परंपरा विश्व को शांति और संतुलन की राह दिखा रही है।
शेखावत ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पुरस्कारों के लिए चयन प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता बरती जा रही है। आज जिन विभूतियों को सम्मानित किया जा रहा है, उन्होंने समाज में अपनी सेवा और तप से नए मानक स्थापित किए हैं। उन्होंने कहा कि यह केवल सम्मान नहीं, बल्कि उस मूल्यों की पुनर्प्रतिष्ठा है, जो भारतीय संस्कृति के केंद्र में रहे हैं।