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प्रतिबन्धित वन्य जीव के अंगों एवं वनस्पतियों की करते है तस्करी
लखनऊ। देश में प्रतिबन्धित किए गए जानवरों के हत्या कर उनकी तस्करी करने वाले तीन तस्करों को एसटीएफ ने वन विभाग एवं वाइल्ड लाइफ क्राइम कण्ट्रोल व्यूरो के संयुक्त अभियान में अयोध्या से गिरफ्तार कर लिया।
बरामद सामान
1- 20 अदद चीता के दांत।
2- 24 अदद चीता के नाखून।
3- 110 अदद सियार सिंघी।
4- 02 अदद हत्थाजोड़ी।
5- 140 अदद इन्द्रजाल के पौधे।
6- 03 अदद मोबाइल फोन।
7- रू0 2,550/- नगद
पुलिस उपाधीक्षक प्रमेश कुमार शुक्ल ने बताया की विगत कुछ दिनों से प्रतिबन्धित वन्य जीव के अंगों एवं वनस्पतियों की तस्करी में बारे में जानकारी मिल रही थी। जिस को लेकर वाइल्ड लाइफ क्राइम कण्ट्रोल व्यूरो एवं वन विभाग से समन्वय स्थापित कर अभिसूचना संकलन की कार्यवाही की जा रही थी। इस दौरान मुखबिर से ज्ञात हुआ कि जनपद गोण्डा कचहरी के पास दयाराम दूबे की पूजा सामग्री की दुकान का संचालन करता है।
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दुकानदार समेत तीन गिरफ्तार
जहॉ से प्रतिबन्धित वन्य जीव एवं वनस्पतियों से सम्बन्धित सामान की चोरी छुपे बिक्री करता है। यह सामान उसे अयोध्या के बृजेष केषरवानी द्वारा दिया जाता हैं। जो नया मन्दिर परिसर प्रांगण के अन्दर बना घर का आंगन बहद थाना पर सामान देने वाला है। इस सूचना पर निरीक्षक वेद प्रकाष श्रीवास्तव, संतोष कुमार सिंह, मुख्य आरक्षी कवीन्द्र साहनी, मनोज कुमार, आरक्षी चालक अफजाल की एक टीम गठित कर दयाराम दूबे निवासी पूरे उमापति गोपीपुर, बेल्सर, थाना तरबगंज, जनपद-गोण्डा,बृजेष केसरवानी निवासी शास्त्रीनगर थाना कोतवाली जनपद अयोध्या समेत संजय तिवारी निवासी ग्राम रामदेवरैया, थाना तरबगंज जनपद-गोण्डा को गिरफ्तार कर लिया गया।
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तात्रिक क्रियाओं में होता है उपयोग
गिरफ्तार अभिुयक्तों ने पूछताछ पर बताया कि बरामद की गयी वस्तुओ का प्रयोग घरों मे सजावट के साथ-साथ आध्यात्मिक एवं तात्रिक क्रियाओं में किया जाता है। पूजा सामग्री दुकानदार इन्हे चोरी छिपे रखकर बेचते है। दया राम दूबे की गोण्डा में पूजा सामग्री की दुकान है। जिसके माध्यम से यह सामान बेचा जाता है एवं सामान अयोध्या निवासी बृजेष केषरवानी से प्राप्त किया जाता है। चूॅकि समस्त सामग्री प्रतिबन्धित क्षेणी की है, इस लिए गुप-चुप तरीके से ही मंगवाकर बेचा जाता है। संजय तिवारी तिवारी इस अवैध व्यापार में दया राम दूबे का सहयोगी है।
इन दामों पर बिकता है सामान
गहन पूछताछ पर सभी अभियुक्तों ने बताया कि मान्यताओं के अनुसार पूजापाठ, वास्तु साधना तांत्रिक क्रिया एवं नकारात्मक शक्तियों को खत्म करने के लिए इन सामग्रियों का प्रयोग किया जाता हैं। सामान्यतः चीते का दॉत व नाखून प्रति पीस रू0 5,000/- तक बिक जाता है। सियार-सिघी प्रति जोड़ा रू0 4-5 हजार, हत्था जोड़ी प्रति पीस 15-20 हजार एवं इन्द्रजाल रू0 1-5 हजार तक बिकता है।
विशेष प्रकार के जानवरो का होता है शिकार
बरामद की गयी सामग्री के सम्बन्ध में वन विभाग एवं डब्लूसीसीवी की टीम से पूछने पर पता चला कि इन्द्रजाल समुद्र के गहरे क्षेत्रों पाया जाने वाला एवं दुर्लभ प्रजाति का पौधा है जिसमें पत्तिया नहीं होती है। हत्थाजोड़ी वन्य जीव गोह के शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो दुर्लभ एवं प्रतिबन्धित श्रेणी का है।
सियार-सिन्घी प्रतिबन्धित सियार नामक वन्य जीव के सिर पर पाये जाने वाली एक प्रकार की गॉठ होती है जो सभी सियारों के सिर पर न होकर कुछ विषेष प्रकार के सियार के सिर पर पायी जाती है। शिकारी व वन्य जातियों के लोग ऐसे सियारों की पहचान कर उन्हे मार डालते है और सियार-सिन्घी प्राप्त कर लेते है इसी प्रकार प्रतिबन्धित वन्य जीव टाइगर को भी दॉत, खाल, नाखून एवं मांस की विक्री हेतु वन्य जीव तस्करों द्वारा षिकार किया जाता है।
वन्य जीव संरक्षण अधि0 1972 के सीड्यूल-1, पार्ट-1 के अन्तर्गत टाइगर, सीड्यूल-1, पार्ट-3 के अन्तर्गत इन्द्रजाल (सी-फैन) सीड्यूल-1, पार्ट-2 के अन्तर्गत गोह, सीड्यूल-2, पार्ट-2 के अन्तर्गत सियार-सिंघी प्रतिबन्धित श्रेणी के वन्य जीव है।